शनि + सूर्य
कुंडली में शनि और सूर्य का योग बहुत शुभ नहीं माना गया है यह जीवन में संघर्ष बढाने वाला योग मन गया है फलित ज्योतिष में सूर्य , शनि को परस्पर शत्रु ग्रह माना गया है कुंडली में शनि और सूर्य का योग होने पर व्यक्ति को आजीविका पक्ष में संघर्स का सामना करना परता है विशेस रूप से करियर का आरंभिक पक्ष संघर्षपूर्ण होता है और यदि शनि अंशो में सूर्य के बहुत अधिक निकट हो तो आजीविका में बार बार उतर चढाव रहते है , शनि और सूर्य का योग होनें पर जातक को या तो पिता की सुख की कमी होती है या पिता के साथ वैचारिक मतभेद रहते है , यदि सूर्य और शनि का योग शुभ भाव में बन रहा हो तो ऐसे में संघर्स के बाद सरकारी नोकरी का योग बनता है .
शनि + चन्द्रमा –
कुंडली में शनि और चन्द्रमा का योग होने पर व्यक्ति मानशिक रूप से हमेशा परेशान रहता है मानशिक अस्थिरता की स्थिति रहती है , इस योग के होने पर नकारात्मक विचार , डिप्रेसन और अन्य सैकेटरिकल समस्याए उत्पन होती है , व्यक्ति एकाग्रता की कमी के कारन अपने कार्य को करने में समस्या आती है , यह योग माता के सुख में कमी या वैचारिक मतभेद भी उत्पन्न करता है पर यदि शनि चन्द्रमा का योग शुभ भाव में बन रहा हो तो ऐसे में विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग भी बनता है .
शनि + मंगल –
कुंडली में शनि मंगल का योग करियर के लिए संघर्स देने वाला होता है करियर की स्थिरता में बहुत समय लगता है और व्यक्ति को बहुत अधिक पुरुषार्थ करने पर भी करियर में सफलता मिलती है शनि मंगल का योग व्यक्ति को तकनिकी कार्य जैसे इंजीनियरिंग आदि में आगे ले जाता है और यह योग कुंडली के शुभ भावो में होने पर व्यक्ति पुरुषार्थ से अपनी तकनिकी प्रतिभाओ के द्वारा सफलता पाता है , शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वस्थ में कष्ट उत्पन्न करता है शनि मंगल का योग विशेष रूप से पाचनतंत्र की समस्या , जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसे समस्याए देता है .
शनि + बुध –
शनि और बुध का योग शुभ फल देने वाला होता है , कुंडली में शनि बुध एक साथ होने पर ऐसा व्यक्ति गहन अध्ययन की प्रवृति रखने वाला होता है और प्राचीन वस्तुओ इतिहास और गणनात्मक विषयों में रूचि रखने वाला होता है और व्यक्ति प्रत्येक बात को बात को तार्किक दृष्टीकोण से देखने वाला होता है , कुंडली में शनि बुध का योग व्यक्ति को बौधिक , गणनात्मक और वाणी से जुड़े कार्यो में सफलता दिलाता है
शनि + बृहस्पति –
शनि और बृहस्पति के योग को बहुत अच्छा और शुभ फल देने वाला माना गया है . कुंडली में शनि बृहस्पति एक साथ होने पर व्यक्ति अपने कार्य को बहुत समर्पण भाव और लगन के साथ करने वाला होता है . यह योग आजीविका की दृष्टी से बहुत शुभ फल देने वाला होता है व्यक्ति अपनी आजीविका छेत्र में सम्मान और यश तो प्राप्त करता ही है पर शनि बृहस्पति का योग होने पर व्यक्ति अपने कार्य छेत्र में कुछ ऐसा विशेष करता है जिससे उसकी कीर्ति बहुत बढ़ जाती है ,कुंडली में शनि और बृहस्पति का योग होने पर ऐसे व्यक्ति के करियर या आजीविका की सफलता में उसके गुरु का बहुत बड़ा विशेष योगदान होता है, यह योग धार्मिक , समाजसेवा और अध्यात्मिक कार्यो से व्यक्ति को जोड़कर परमार्थ के पराग पर भी ले जाता है .
शनि + शुक्र –
शनि और शुक्र का योग बहुत शुभ माना गया है कुंडली में शनि और शुक्र का योग होने पर व्यक्ति रचनात्मक या कलात्मक कार्यो से सफलता पाता है जीवन में आजीविका के द्वारा अच्छी धन और एश्वर्या की प्राप्ति होती है , व्यक्ति विलाशिता पूर्ण कार्यो से आजीविका चलाता है यदि पुरुष जातक की कुंडली में शनि शुक्र का योग हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवन में उनके विवाह के बाद विशेष उन्नति और भाग्योदय होता है तथा उनकी पत्नी जीवन निर्वाह में विशेष सहायक होती है.
शनि + राहू –
शनि और रहू का योग कुंडली में होने पर व्यक्ति चातुर्य और तर्क से अपना कार्य सिध्ह करने वाला होता है ऐसे में व्यक्ति को आकस्मिक धन प्राप्ति वाले कार्यो से लाभ होता है व्यक्ति अपनी मुख्या आजीविका से अलग भी गुप्त रूप से धन प्राप्त करता है और शुभ प्रभाव के अभाव में यह योग व्यक्ति को छल के कार्यो से भी जोड़ देता है.
शनि + केतु –
शनि और केतु का योग बहुत संघर्षपूर्ण योग माना गया है कुंडली में यदि शनि और केतु एक साथ हो तो ऐसे में व्यक्ति की आजीविका या करियर बहुत संघर्स पूर्ण होता है व्यक्ति को पुरे मेहनत करने पर भी आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता , कई बार व्यक्ति अपनी आजीविका का क्षेत्र बदलने पर मजबूर हो जाता है , यह योग व्यक्ति में अध्यात्मिक दृष्टीकोण भी उत्पन्न करता है , यदि कुंडली में अन्य अछे योग भी हो तो भी व्यक्ति की करियर की स्थिति तो अस्थिर ही बनी रहती है , शनि केतु का योग व्यक्ति को पाचनतंत्र , जोड़ो के दर्द और आंतो से जुडी समस्याए भी देता है.