कहाँ हैं अष्टभुजा माई का मंदिर? जहाँ होती हैं खंडित मूर्तियों की पूजा!

0
2874
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
2

कहाँ हैं अष्टभुजा माई का मंदिर? जहाँ होती हैं खंडित मूर्तियों की पूजा!
Astha Bhuja mai mandir-0002यह बातों को सून कर आपके भी जहन में यह बात आ रही होगी की ऐसी मंदिर तो हो ही नही सकती। अगर होगी भी तो वहाँ पर स्थापित मूर्तियों की पूजा नहीं होती होगी। ऐसी हमारी सोच इसलिए है कि हम कभी भी खंडित मूर्तियों को अपने घर के पूजा स्थान पर नहीं रखते है और न ही किसी विधान में ऐसी मूर्तियों की पूजा के बारे में देखा या सूना हैं। लेकिन अगर हम कहें की ऐसा मंदिर हैं। और रोज वहाँ पर खंडित मूर्तियों की पूजा भी होती हैं। तो आप विश्वास नहीं करेंगे। परन्तू यह बात १०० प्रतिशत सच हैं। ऐसा मंदिर पिछले ९०० साल से उत्तर प्रदेश की राजधानी से तकरीबन १७० किमी दूर प्रतापगढ़ के गोंडे गांव में स्थित है। जो की अष्टभुजा माई को समर्पित हैं। किन्तू पहले यह मूर्तियाँ खंडित नहीं थीं। ASI के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, मुगल शासक औरंगजेब ने १६९९ ई. में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था । उस समय इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित माँ अष्टभूजा माई के मूर्तियों के सर को कटवा दिया गया था। कहा जाता है कि उस समय मंदिर के पूजारियों ने मंदिर को नष्ट होने और मंदिर में स्थापित मूर्तियों को बचाने हेतू मंदिर के द्वार को मस्जिद के द्वार के आकार में बनवा दिया था,

Astha Bhuja mai mandi-0005

जिसे भ्रम पैदा हो और यह मंदिर टूटने से बच जाए। मुगल सेना इसके सामने से लगभग पूरी निकल गई थी, लेकिन एक सेनापति की नजर मंदिर में टंगे घंटे पर पड़ गई। फिर सेनापति ने अपने सैनिकों को मंदिर के अंदर जाने के लिए कहा और यहां स्थापित सभी मूर्तियों के सिर काट दिये गये। आज भी इस मंदिर की मूर्तियां वैसी ही हाल में देखने को मिलती हैं।
बता दें कि इस मंदिर के मेन गेट पर एक विशेष भाषा में कुछ लिखा है।

Astha Bhuja mai mandir me likhi lipi-0004

यह कौन-सी भाषा है, यह समझने में कई पुरातत्वविद और इतिहासकार फेल हो चुके हैं। कुछ इतिहासकार इसे ब्राह्मी लिपि बताते हैं तो कुछ उससे भी पुरानी भाषा का, लेकिन यहां क्या लिखा है। यह अब तक कोई नहीं समझ सका।

Astha Bhuja mai mandir-0003

मंदिर की दीवारों, नक्काशियां और विभिन्न प्रकार की आकृतियों को देखने के बाद इतिहासकार और पुरातत्वविद इसे ११वीं शताब्दी का बना हुआ मानते हैं। गजेटियर के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी क्षत्रिय घराने के राजा ने करवाया था। मंदिर के गेट पर बनीं आकृतियां मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से काफी मिलती-जुलती हैं। इस मंदिर में अष्ठ हाथों वाली अष्टभुजा देवी की मूर्ति है। गांव वाले बताते है कि इस मंदिर में अष्टभुजा देवी की अष्टधातु की प्राचीन मूर्ति थी। १५ साल पहले वह चोरी हो गई। इसके बाद सामूहिक सहयोग से ग्रामीणों ने यहां अष्टभुजा देवी की पत्थर की मूर्ति स्थापित करवाई।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
2

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here