जानें भारत के कुल १० अनोखें और रहस्यमयी मरम्पराओं के बारें में!
जैसा कि हम जानते है कि हमारा देश कई अनोखी परम्पराओं के बारे में जाना जाता हैं। जो अपने में एक रहस्य को संजोया हुआ हैं। इसकी गोद में अनोखी और अचरज भरी परम्पराओं और रीती रिवाजों में से कुल १० अनोखी परम्पराओं के बारें में आज हम आपकों अवगत कराऐगें।
१.बच्चें की स्वास्थ्य की कामना पूर्ण हेतू शाटन देवी मंदिर में लौकी चढ़ाना-
छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित शाटन देवी मंदिर जिसे बच्चों का मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। दूर-दूर से लोग यहां आकर अपने बच्चों की तंदुरस्ती के लिए माता को लौकी और तेंदू की लकड़ी अर्पण करतें हैं। यह प्रथा के बारे में कोई नहीं जानता है कि यह कब से चली आ रही हैं। परन्तू लोगों का कहना है कि उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती हैं।
२.मनोकामना पूर्ण हेतू सड़क पर लेटे लोगों के उपर गायों को छोड़ना-
अपनी मनोकामना पूरी करने हेतू लोग दूर-दूर से भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कुछ गावों में एक अजीब सी परम्परा का पालन सदियों से की जा रही हैं। उसमें शामील होने आते हैं। इस परम्परा के तहत उन्हें जमीन पर लेटना रहता है और उनके उपर से गायों का एक छून्ड को छोड़ दिया जाता हैं।
३.लड़का या लड़की जन्म के समय होने का पता लगाना-
ग्रामवासियों के अनुसार, ४०० सालों से चली आ रही यह अनोखी परम्परा में पेट में पल रहा जीव लड़का या लड़की पता करने हेतू गर्भवती महिलाओं को झारखंड के बेड़ों प्रखंड के खुखरा गांव में स्थित एक पहाड़ है जिस पर एक चांद की आकर्ति खुदी हुई है। इस चांद की आकर्ति के बिच में गर्भवती महिलाओं द्वारा फेंके गये पत्थर लगने से बालक शिशु और चांद की आकर्ति के बाहर लगने से बालिका शिशु होने की पुष्टि करते हैं। इस परम्परा पर यहां के ग्रामवासियों का अटूट विश्वास हैं।
४.भाइयों को मर जाने का श्राप देती है बहनें-
उत्तर भारतीय के लोग वर्ष में आने वाले भाई दूज पर्व पर अपने भाईयों की सलामती हेतू उन्हें मृत्य का श्राप देती हैं। कहा जाता है इस पर्व पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती हैं और बेहने अपने भाइयों की सलामती हेतू मृत्यु का श्राप देती है। जिसके बाद अपने जीभ पर काटा चुभा कर प्रायश्चित भी करती हैं।
५.विधवा का जीवन जीने के पिछे छिपा है पति की सलामती-
पूर्वी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और इससे सटे बिहार के कुछ इलाकों में रहने वाले निवासी का कार्य ताड़ के पेड़ों से चढ़कर ताड़ी निकालना हैं। जो चैत मास से सावन मास तक, चार महीने किया जाता हैं। इस दौरान विवाहिता स्त्री अपना पूरा सुहाग का समान तरकुलहा देवी के पास रखकर अपने पति की सलामती कि दुआ मांगती है एवं इन चार महीनों तक विधवा का जीवन जीती हैं।
६.परिजनों की मृत्यु पर शिवलिंग का दान करना-
वाराणसी के सारे मठों में सबसे पुराना जंगमवाड़ी मठ में आज एक छत के नीचे दस लाख से भी ज्यादा शिवलिंग स्थापित है। लोगों की मान्यता है कि उनके परिजनों की मुक्ति और अकाल मौत की आत्मा की शांति के लिए यहां लोग पिंडदान नहीं बल्कि शिवलिंग दान करने से उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
७. बारिश कराने हेतू यहां मेंढकों की कराई जाती है शादी-
मान्यता के अनुसार, बारिश के देवता को खुश करने हेतू महाराष्ट्र के लोग मेंढकों की शादी कराते हैं। जिसके बाद उन्हें गांव के तालाब में छोड़ देते है।
८.अनोखी परम्परा-अपनी शादी हेतू लड़कें खाते है मार महिलाओं से-
राजस्थान के जोधपुर गांव में साल के एक दिन महिलाओं की आजादी के रूप में मनाये जा रहें इस कार्यक्रम में रात के समय सारी महिलाये, बच्चियां, किशोरियां और विधवा अपने साथ डंडें को लेकर निकलती हैं। और कार्यक्रम में आये सभी पूरूषों को डंडें से मारती है। ऐसी मान्यता है मार खाये पुरूष की शादी साल भर में हो जाती है।
९. बच्चियों की कुत्तों से शादी-
असली हिन्दू रीती रिवाज से भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने हेतू हमारे देश के झारखंड राज्य के कई इलाकों में यह परंपरा के नाम पर बच्चियों की शादियां कुत्तों से सदियों से कराई जा रही हैं।
१०.नागपंचमी पर गुड़िया पीटना-
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उत्तरप्रदेश में मनाये जा रहें मेला जो की नागपंचमी के नाम से विख्यात हैं। इस दिन महिलाएं घर के पुराने कपड़ो से गुड़िया बनाकर चौराहे पर डालती है और बच्चे उन्हें कोड़ो और डंडों से पीटकर खुश होते हैं।