वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्री हरि विष्णु जी ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतू खंभे को चीरकर नृसिंह अवतार में प्रकट हुऐ थे। अबकि यह समय २०१८ को २८ तारीख दिन शनिवार को मनाया जा रहा हैं।
इस दिन भक्तगण पूरे दिन उपवास रहते हैं। और अपने सामथ्र्य अनुसार भू, गौ, तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान करते हैं। इस दिन क्रोध, लोभ, मोह, असत्य, कुसंग और पापाचार का त्याग कर पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्रती को इच्छानुसार धन-धान्य की प्राप्ति होती है। व्रत करने वाला लौकिक दुखों से मुक्त हो जाता हैं। इसके साथ भक्तों पर भगवान श्री नृसिंह का सदा आर्शिवाद बना रहता हैं।
बता दें कि भगवान नृसिंह की पूजा-आराधना यश, सुख, समृद्धि,पराक्रम, कीर्ति, सफलता और निर्बाध उन्नति देती है। नृसिंह मंत्र से तंत्र मंत्र बाधा, भूत पिशाच भय, अकाल मृत्यु, असाध्य रोग आदि से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।
पूजन-विधि- यहां हम आपकों भगवान नृसिंह जी के तीन मंत्र बताऐंगे। जिन्हें चयन कर आप अपने जीवन में चल रहें सकटों से मुक्ति पा सकते हैं।
१.बीज मंत्र-
‘‘क्ष्रौं’’। इस बीज में क्ष् – नृसिंह, र् – ब्रह्म, औ- दिव्यतेजस्वी एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज मंत्र का अर्थ है ‘‘दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें’’।
२.संकटामेचन मंत्र-
३.विशेष नृसिंह मंत्र-
इन तीनों मंत्रों में चयन करके प्रतिदिन रात्रि काल में जाप करें। जाप करने के पूर्व लाल रंग के आसन पर दक्षिणाभिमुख हो कर विराजित हो। फिर रक्त चंदन या मूंगे की माला से नित्य एक हजार बार जाप करने से लाभ मिलता हैं। अगर जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्ति करना हो तो यह प्रक्रिया ४० दिन करे और ५लाख जप पूर्ण करें। इस दौरान रोज देसी घी का दीपक जलाएं। और भगवान को २ लड्डू, २ लौंग, २ मीठे पान और १ नारियल को पहले और आखरी दिन अर्पण करें। अगले ही दिन भगवान विष्णु जी के मंदिर में जाकर उपरोक्त सामग्री चढ़ा दें। इसके बाद अंतिम दिन दशांश हवन करना चाहिए। अगर आप दशांश हवन न कर सके तो ५० हजार संख्या में मंत्र का और जाप करने से पूजा पूर्ण हो जाती हैं।