आइये जाने, कछुए वाली अंगूठी धारण कर कैसे दुर्भाग्य को ज्योतिष उपायों से करे दूर
ज्योतिष शास्त्र में, कुण्डली में दोष हो या किसी प्रकार का भाग्य को लेकर जातक की परेशानियाँ हो, सभी दोषों का निवारण ज्योतिष शास्त्र में विधि पूर्वक उल्लेखित है। इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे है कि कैसे कछुए आकार में चांदी धातू में बने एक अंगूठी से आप को जीवन में चल रहे दुर्भाग्य को ज्योतिष उपाय करके निजात पाया जा सकता हैं। बता दें कि हमेशा से ज्योतिष में अनेक धातुओं की और रत्नों में बनी अंगूठी को धारण करना। ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है।
क्यों फलित है कछुए के आकार की अंगूठी –
कछुए के आकार की अंगूठी समुद्र मंथन की कथा के साथ भी जोड़ा गया है। कहा जाता है किे जब सूर और असूर अमृत प्राप्ती के हेतू सागर मंथन किए थें। तब भगवान श्री हरि विष्णू ने एक कछुए का रूप ले कर इस मथन को पूर्ण कराया था। इसी मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी भी प्रकट हुई थी। जिसके बाद भगवान विष्णु से इनका विवाह संपन्न हुआ जिससे लक्ष्मी के साथ ही कछुए को भी धन बढ़ाने वाला माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कछुए को सकारात्मकता और उन्नति का प्रतिक माना गया है। कछुए को धैर्य, शांति, निरंतरता और सुख-समृद्धि का भी प्रतिक माना जाता है।
क्या है अंगूठी को पहनने की विधि-
सर्वप्रथम इसको धारण करते समय एक बात का विशेष ध्यान देना रहता है कि कछुए का सिर धारण करने वाले की ओर हो। ऐसा न होने पर या कछुए का सिर धारण करने वाले के विपरित दिशा में होगा तो यह नकारात्मक प्रभाव दे सकता है। जिससे लाभ के स्थान पर हानि का सामना करना पड़ सकता हैं।
इसको धारण करने का विशेष दिन-
माँ लक्ष्मी के प्राप्ती के लिए उनके विशेष दिन शुक्रवार को विधि-विधान से अंगूठी को घर में लाकर, दूध और पानी से अच्छी तरह से अंगूठी को धोएं एवं पूजा स्थल पर माँ लक्ष्मी के प्रतिमा के सनमूख रखें। जिसके बाद माँ लक्ष्मी का मन में ध्यान कर एवं माँ लक्ष्मी की पूजा कर इस अंगूठी को सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी उंगली में पहनें। ऐसा नहीं है कि अंगूठी पहनने से धन की बरसात होगी। जो आपके भाग्य का धन है, उसकी रुकावटें दूर हो जाएंगी। इस कछुएं वाली अंगूठी को आप अपने बजट के मुताबिक बना सकते हैं। चाहे तो चांदी, सोने में जडे नग द्वारा बनवा सकते हैं।
SIR AAPNE ISME UNGLI KE BARE ME NAHI LIKHA HAI KI KAUN SI UNGLI ME DHARAN KARNA CHAHIYE. AUR KITNE SAMAY
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