Hanuman Ji ki hoti hai Unki Patni sang Pooja

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बाल ब्रह्मचारी हनुमानजी की होती है

उनकी पत्नी संग पूजा

Hanumah Ji aur unki patni Suverchala ki Pratima-1

क्या हनुमान जी की भी हुई थी कभी शादी?

कौन थी उनकी पत्नी?

क्या ये सब सिर्फ लोक कथाऐं हैं?

कहाँ है उनकी पत्नी संग मंदिर?

 

कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हनुमानजी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। इसलिए हनुमान जी लंगोट धारण किए हर मंदिर और तस्वीरों में अकेले दिखते हैं। कभी भी अन्य देवताओं की तरह हनुमान जी को पत्नी के साथ नहीं देखा होगा। लेकिन भारत के एक ऐसा स्थान हैं, जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी की एक साथ पूजा की जाती है। यह बात चौंकाने वाली है, क्योंकि काफी क्षेत्रों में लोग हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी ही मानते हैं। किन्तु एक क्षेत्र ऐसा हैं जहां ऐसी तस्वीरें प्रचलित हैं, जिनमें हनुमानजी उनकी पत्नी संग दिखाई देते हैं। इन क्षेत्र में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी की पत्नी का नाम सुवर्चला है और वे उनके गुरू सूर्य देव की पुत्री हैं। अगर आप हनुमानजी के साथ उनकी पत्नी को देखना चाहते हैं तो आपको आंध्रप्रदेश जाना होगा।

Hanumah Ji aur unki patni Suverchala ka mandirHanumah Ji aur unki patni Suverchala

         बता दें कि तेलंगाना के खम्मम जिले में छोटा, लेकिन एक प्राचीन मंदिर है, जहां हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला की प्रतिमा विराजमान है। यहां की मान्यता है कि जो भी हनुमानजी और उनकी पत्नी के दर्शन कर लेता है उन सभी भक्तों की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं एवं वैवाहिक लोगों के जीवन के बीच में सदेव प्रेम बना रहता है।

        Hanumah Ji aur unki patni Suverchala ke sath darbarतेलंगाना के खम्मम जिले में प्रचलित मान्यता का आधार पाराशर संहिता को माना गया है। पराशर संहिता में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी अविवाहित नहीं, विवाहित हैं। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ है। संहिता के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरू माना था। सूर्य देव के पास से ९ दिव्य विद्याओं का ज्ञान हनुमान जी प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन ९ में से ५ विद्याओं का ज्ञान तो हनुमान जी को दे दिया, लेकिन शेष ४ विद्याओं के लिए सूर्य देव के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया। शेष ४ दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमान जी तो बाल ब्रह्मचारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष विद्याओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह करने की बात कही। पहले तो हनुमान जी विवाह के लिए राजी नहीं हूए, लेकिन सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुवर्चला के संबंध में बताया कि उनकी पुत्री परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तीनों लोकों में सिर्फ तुम ही सहन कर सकते हो। सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको। सूर्य देव ने यह भी बताया कि मेरी पुत्री से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। यह सब बातें जानने के बाद एवं शेष विद्याओं का ज्ञान पाने के विचार के साथ वे विवाह के लिए मान गयें। जिसके परिणामस्वरूप हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह सूर्य देव ने करवा दिया। विवाह के बाद सुर्वचला तपस्या में लीन हो गर्इं और हनुमान जी ने अपने गुरू से शेष विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी बने रहें। इसका प्रमाण उनके विवाह का तेलंगाना के खम्मल जिले में स्थित मंदिर में आसानी से मिल जाता है। यह स्थान खम्मल जिला हैदराबाद से करीब २२० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए हैदराबाद से आवागमन के उचित साधन मिल जाता है। हैदराबाद पहुंचने के लिए देश के सभी बड़े शहरों से बस, ट्रेन और हवाई जहाज की सुविधा आसानी से मिल जाती है।

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