Jaaniye Shiv ki Matra 8 Tarah ki Pratima hone ke bare me!

0
1291
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
11

shiv-2

त्रिदेवों में एक शिव इस संसार में ८ रूपों में पूजे जाते हैं। हिन्दू धर्म में इनके शर्व, भव, रूद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव इन ८ रूपों की पूजन-अर्चन किया जाता हैं। इसी क्रम में धर्मग्रंर्थों में शिव जी की मूर्तियों को भी ८ प्रकार में बताया गया हैं। इनके ८ प्रकार की मूर्तियों के होने के बारे में आज हम आपकों बताने जा रहें है।

१.शर्व- पृथ्वीमयी मूर्ति के स्वामी शर्व जो पूरे जगत को धारण करते है। इसी कारण से इसे शिव की शार्वी प्रतिमा भी कहा जाता है। इसका अर्थ शुभ प्रभाव जो भक्तों के हर कष्टों को हरे। ऐसे को शर्व कहा जाता हैं।

२.भीम- शिव की ऐसी मूर्ति जो आकाश रूपी हो, जो बुरे और तामसी गुणों से युक्त प्रवर्ति वालों का नाश कर जगत को उनसे मुक्ति दिलाता है। इसके स्वामी भीम माना गया हैं। यह एक और नाम भैमी शब्द से भी प्रसिद्ध हैं। भीम का अर्थ भयंकर और विशाल होता है। जो उनके भस्म से लिपटी देह, जटाजूटधारी, नागों के हार पहनने से लेकर बाघ की खाल धारण करने या आसन पर विराजने वाले सहित कई तरह से उजागर होता हैं।

३.उग्र- शिव अपने तेज से जगत को वायु रूप में गति देते हैं और पालन-पोषण भी करते हैं। इसलिए इसके स्वामी उग्र माना गया हैं। इनकी मूर्ति औग्री नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उग्र का अर्थ बहुत गुस्से वाला होना। शिव के तांडव नृत्य में इनके शक्ति का दर्शन होता हैं।

Shiv-

४.भव- जो जगत को प्राणशक्ति और जीवन देता है ऐसे जल से युक्त शिव की मूर्ति को भव कहा गया है। इसके स्वामी को भव माना जाता हैं। इसलिए इसे भावी भी कहते हैं। इस नाम को और विस्तार पूर्वक बताने के लिए शास्त्रों में इसका मतलब पूरे संसार के रूप में ही प्रकट होने वाले देवता बताया गया है।

५.पशुपति- सभी आत्माओं को नियंत्रक करने वाले पशुपति सभी के आंखों में बसे होते हैं। पशुपति नाम का अर्थ पशुओं के स्वामी होता है। जिनका कर्तव्य जगत के जीवों की रक्षा व पावन-पोषण करना है। यह पशु यानी दुर्जन प्रवृत्तियों का नाश और उनसे मुक्त करने वाली होती है। इसलिए इन्हें पशुपति भी कहा जाता है।

६.रूद्र- रूद्र का अर्थ होता है जो बहुत रौद्र करे अर्थात बहुत रोने वाले को रूद्र कहते हैं। यह नाम स्वयं ब्रह्मा जी ने शिव को दिया था। यह शिव की अत्यंत ओजस्वी मूर्ति है। जो पूरे जगत के अंदर-बाहर फैली समस्त ऊर्जा व गतिविधियों में स्थित है। इसके स्वामी रूद्र है। इसलिए यह रौद्री नाम से भी जाने जाते हैं। इस रूप में शिव तामसी व दुष्ट प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखते हैं।

Lord-Shiva-Statue_57cbb0ea47375

७.ईशान- इस रूप में भगवान शिव जगत को ज्ञान व विवेक देते है। यह सूर्य रूप में आकाश में चलते हुए जगत को प्रकाशित करते है। शिव की यह दिव्य मूर्ति ईशान कहलाती है।

८.महादेव- इस मूर्ति का रूप अन्य से व्यापक माना गया हैं। इसमें महादेव नाम का अर्थ देवों में देव होता है। यानी सारे देवताओं में सबसे विलक्षण स्वरूप व शक्तियों के स्वामी शिव ही है। इस रूप में शिव अपने मस्तक पर चन्द्र को धारण किये होते है। चन्द्र किरणों को अमृत के समान माना गया है। चन्द्र रूप में शिव की यह मूर्ति महादेव के रूप में प्रसिद्ध है।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
11

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here