Karjo ke Ambaar se Shri Rinharta Ganesh dilyaaye Aapko Mukti

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कर्जो के अम्बार से श्री ऋणहर्ता गणेश दिलाए आपकों मुक्ति

अपने जीवन मेंं सुख-समृद्धि की स्थिरता के लिए पूजें ऋणहर्ता गणेश
पूजें हर बुधवार को करें दारिद्रय का नाश
Rinharta Ganesh Ji

आज बैंक अपने फाइनेंस स्किम के तहत हर दूसरे व्यक्ति के आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए और अपने कमाई के श्रोत में इजाफा हेतू अनेका-अनेक लुभानें स्किम समय-समय पर प्रचार-प्रसार करते रहते है जिसको देख हर एक वर्ग के लोग इस मकड़ी रूपी फाइनेंस स्किम के जाल में बुरी तरह से फंसते जा रहें है। जो कि लिए हुए कर्जे को समय पर न वापस करने की स्थिती पर महीने दर महीने कर्ज का अम्बार बढ़ता जाता है। वहीं दूसरी तरफ भारी दर की ब्याज को चुकाता है। ऐसी उत्पन्न हुई स्थिती पर सभी देवों के ईष्ट भगवान श्री ऋणहर्ता गणेश जी के एक मात्र पूजन से आप को आप के ऊपर लगे कर्जाे के अम्बार से मुक्ति मिल सकती है। जिसके लिए आपकों अपने पूजन स्थल पर दो भुजाओं वाले, सिंदूर वर्ण वाले, जिनका उदर काफी बड़ा, कमल दल पर विराजित, ब्रह्म इत्यादि देवता जिनकी वंदना कर रहे हैं ऐसी प्रतिमा को स्थापित करें।

किस पूजन विधान से करें प्रभू ऋणहर्ता गणेश को खूश-

भगवान ऋणहर्ता गणेश जी की पूजन हेतू सर्वप्रथम विनियोग करने के लिए हाथ में जल लें। जिसके उपरान्त जाप कर जल छोड़ें।

विनियोग-

ॐ अस्य श्री ऋण हरणकर्ता गणपति स्तोत्र मंत्रस्य सदाशिव ऋषि:, अनुष्टुप छन्द: श्री ऋण हरणकर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजम्, ग: शक्ति:, गौं कीलकम् मम सकल ऋण नाशने जपे विनियोग: (जल छोड़ दें)

ऋषियादि न्यास-

ॐ सदाशिव ऋषिये नम: शिरसि (अपने माथे को स्पर्श करें), अनुष्टुप छन्दसे नम: मुखे(मुख को स्पर्श के बाद हाथ को जल से धो ले), श्री ऋणहर्ता गणेश देवतायै नम: ह्य्दि (अपने दिल को), ग्लौं बीजाय नम: गुह्ये (कमर के निजे स्पर्श के बाद हाथ को जल से धो ले), ग: शक्तये नम: पादयो: (पैर को स्पर्श के बाद हाथ को जल से धो ले), गौं कीलकाय नम: नाभौ (नाभी को स्पर्श) सर्वांगेसू (तीन बार अपने शिर से पांव तक अपने हाथों से स्पर्श करें)

करन्यास-

ॐ श्री गणेश अंगुष्ठाभ्यां नम: (अंगुँव् को स्पर्श), ऋणं छिन्दि तर्जनीभ्यां नम: (हाथ की पहली अंगुली को), वरेण्यं मध्यमाभ्यां नम: (हाथ की दूसरी अंगुली को)। हुम् अनामिकाभ्यां नम: (हाथ की तीसरी अंगुली को) । ॐ कनिष्ठिकाभ्यां नम: (हाथ की चौथी अंगुली को), फट् करतल कर पृष्ठाभ्यां नम: (अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को एक दूसरे को छूते हुए एक दूसरे को क्लॉक वाइज हाथ फेरे)(निर्देशित अंग को छुएं)।

ह्य्दयादि न्यास:

ॐ गणेश ह्य्दयाय नम: (दिल को स्पर्श), ऋणं छिन्दि शिरसे स्वाहा (सिर को), वरेण्यं शिखायै वषट् (सिर के चोटी वाले स्थान को), हुम् कवचाय हुम् (दोनों हाथों से एक दूसरे के भूजाओं को दो बार स्पर्श करें), नम: नैत्रत्रयाय वौषट फट् अस्त्राय फट् (अपने दाहिने हाथ की पहली और चौथी अंगुलियों से अपने नेत्रो को स्पर्श करे)ॐ अस्त्राऐ फट (अपने दाहिने हाथ के पहले और दूसरे अंगुलियों के साथ अपने सिर के उपर एन्टी कलॉक वाइज दिशा में हाथ पेâरने के बाद अपने बांये हाथ की हथेली पर दाहिने हाथ की दोनों अंगुलियों का स्पर्श करें)

ध्यानं:

Rinharta Ganesh Ji-1
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

तथा हाथ में हल्दी का माला लेकर माला का पूजन करने के लिए निम्न मंत्र: –

ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणि।
चतुर वर्गस् त्वयि न्यस्तस् तस्मान् मे सिद्धिदा भव।।
ॐ अविघ्नं कुरू माले त्वं गृह्वामि दक्षिणे करे।
झपकाले च सिध्द्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये।।

का उच्चारण करने के बाद निम्न मंत्र: ‘‘ॐ गणेश ऋणं छिन्दि वरेण्यं हूं नम: फट्।’’ का जाप करें।

”एक लाख जाप कर दशांश हवन करें। हवन मधुत्रय (घृत-मधु-शर्करा) से करने से दारिद्रय का नाश होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।”

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