Kya Aap Janate hai, Monsoon Mandir ke naam se Jag-Vikhyaat ye Jagannath Mandir 7 Din purw hi Barish hone ki karta hai Bhavishyawadi!

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क्या आप जानते है, मॉनसून मंदिर के नाम से जग विख्यात ये जगन्नाथ मंदिर ७ दिन पूर्व ही बारिश होने की करता है भविष्यवाणी!

Mansoon Mandir.j

भारत अपने गर्भ में कई रोचक और रहस्यो को संजोया हुआ है। इस देश में अजब-गजब मंदिरों के बारे में अकसर हम लोगों ने सुना ही है। आज इसी क्रम में एक और कणी को जोड़ते हुए हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहें है जहां विज्ञान ने अपने घूटने टेक दिये है। इन्ही आश्चर्यजनक और चम्तकारों के बीच है भारत के उत्तर प्रदेश के कानपूर जनपद के भीतरगांव विकासखण्ड मुख्यालय से तकरीबन ३ किमी.की दूरी पर एक गांव है बेहटा। जहां पर भगवान जगन्नाथ के साथ बलदाऊ और उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा एवं प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की मूर्तियां स्थापित एक मंदिर है जो अपने रहस्यों के लिए देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मंदिर उड़िसा के जगन्नाथ मंदिर के भांति यहां पर भी साल में भगवान की रथयात्रा बड़े ही धूम-धाम से निकाली जाती है।

क्या रहस्य है इस मंदिर में-

Jagannath Temple

इस जगन्नाथ मंदिर को मॉनसून मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर मॉनसून आने के एक हफ्ते पहले ही सुचना दे देता है।
Mansoon Mandir-2
मॉनसून के ७ दिन पूर्व ही इस मंदिर के छत से पानी की बूंदे मंदिर के गर्भ गृह में टपकने लगता है। यह भी देखा गया है जिस प्रकार में पानी की बूदें टपकती है उसी प्रकार में बारिश के समय बारिश की बूंदे होती है। वहां के लोगों का कहना है कि जैसी ही बारिश शुरू होती है वैसे ही मंदिर के छत से पानी खुद ब खुद टपकना बंद हो जाता है। और पूरा छत सूखा हो जाता है। ऐसा क्यों होता है इसकी कई बार पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन ये अभी भी रहस्य का विषय बना हुआ है। कई बार पुरातत्व विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक आए, लेकिन इसके रहस्य को कोई नहीं जान पाए है। अभी तक बस इतना पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य ११वीं सदी में किया गया था। यहां के लोगों का कहना है कि यह मंदिर किस प्रकार से और कैसे भी बारिश की भविष्यवाणी करता हो, लेकिन इसके भविष्यवाणी से किसानों को बड़ा फायदा होता है।

अनुमान के नजरिये से-

Mansoon Mandir

इस मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इसकी दिवरों की मोटायी १४ फीट है। ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक के शासन काल में यह मंदिर बना है। वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के कयास भी लगाए जाते हैं। लेकिन इसके निर्माण का सही अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है। वहीं इसके बारिश से जुड़ी पूर्व सूचना देना भी रहस्य बना हुआ है।

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