Kya Kalyug ka Aarambh Pandav Vansaj ki ek galati se hua tha?

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क्या कलयुग का आरम्भ पांडव वंशज की एक गलती से हुआ था?
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क्या हम लोगों ने कभी यह विचार किया है कि कैसे कलयुग हमें पूरी तरह से घेर लिया या हमारें साथ ऐसा क्यों हुआ। इसके पिछे महाभारत ग्रन्थ के ‘मौसल पर्व’ में बताया गया है। जिसमें आज के युग के संबंध में दर्शाया है कि लोग अपने हित एवं अपने लोभ के अधिन हो कर एक-दूसरे का अहित करते है जिससे की आज मानवता पूरी तरह से शर्मशार हो गयी है।

बता दें कि कलयुग की शुरूआत की आंशका का चर्चा महाभारत युद्ध के बाद से ही पांडव के मन में चलने लगी थी। जिसके परिणाम स्वरूप पांचो भाईयों ने इस प्रश्न का जवाब जानने के लिए अपने सबसे प्रिय भगवान श्रीकृष्ण के सनमुख गये। जहां पर उन्होंने अपनी सारी जिज्ञासा से भगवान श्रीकृष्ण को अवगत कराया। की कलयुग में मनुष्य कैसा होगा, उसके व्यवहार कैसे होंगेउसे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा? जिस पर श्रीकृष्ण ने इन सारी सवालों का जवाब देने के स्थान पर पांचो भाईयों को एक वन में जाकर वहां पर कुछ समय बितानें के लिए कहा और बताया कि वे जो भी दृश्य को देखें वो सारी बातें उनके पास आकर विस्तार पूर्वक बतायें। उनकी आज्ञा मानकर पांचो पांडव वन की ओर चल दिए। वन में पहुंचते ही सभी अलग-अलग दिशा की ओर बढ़ गयें।

जहां पर सबसे पहले महराज युधिष्ठर ने एक हाथी को देखा जिसके पास दो सुड थे।Two Eliphant in opposite side

यह देखकर युधिष्ठर के आश्चर्य की कोई सिमा नहीं रही।

उधर अर्जुन भी दूसरी दिशा की ओर चलते हुए अचानक किसी चीज को देखकर रूक गये,पंक्षी को देखा जिसके पंखो पर शास्त्रों एवं वेदो की ऋचाएं लिखी हुई थी,

उन्होंने एक पंक्षी को देखा जिसके पंखो पर शास्त्रों एवं वेदो की ऋचाएं लिखी हुई थी, और अपने समझ दूसरे जिव का मांस खा रहा था। यह भी आश्चर्य की बात थी।

तीसरे आश्चर्य की बात यह थी की भीम ने एक जानवर को बच्चा देते देखा, उस जानवर ने अपने उस बच्चे को इतना चाटा की वह बच्चा लहूलुहान हो गया।

चौथे भाई सहदेव ने भी एक आश्चर्य करने वाली बात देखीं। उन्होंने देखा कि उनके सामने एक साथ सात कुऐं थे जिसमें एक को छोड़ कर सभी कुऐं पानी से भरे हुए थे। पर जो कुआँ गहरा था उसमें बिलकुल जल नहीं था।

पांचवे भाई नकूल ने देखा कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई।

इन सभी बातों के साथ पांडव, श्रीकृष्ण के समझ पहुंच गये एवं अपने साथ हुई आश्चर्य चकित बातो को विस्तार से बताया।

जिसपर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को सबसे पहले उसके प्रश्न का जवाब दिया। की ‘कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ’ इससे तुम पहले ही राज्य कर लो।
       

अर्जुन के सवाल का जवाब पर श्रीकृष्ण ने बताया कि ‘कलियुग में ऐसे लोगों का शासन होगा जो बड़े विद्वान एवं ज्ञानी कहलायेंगे।किन्तु वे पराये धन को हरने और छीनने को आतुर होंगे और कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा।’
       

श्रीकृष्ण ने भीम के प्रश्न का जवाब दिया कि ‘कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा। बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे। किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा। श्रीकृष्ण ने बताया कि इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोहमाया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा। वास्तव में यह शरीर तुम्हारा नहीं बल्कि मृत्यु की अमानत है तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है।’

सहदेव को बताया कि ‘कलयुग में जो व्यक्ति धनवान होगा वह अपने लड़के-लड़की के विवाह में, मकान में, छोटे बड़े उत्सवों में लाखों रूपये खर्च कर देंगे परन्तु वही यदि उनके पड़ोस मे कोई बच्चा भूखा-प्यासा होगा तो यह देखेंगे भी नहीं की उसकी पेट भरा है या नहीं।’
      

नकूल को बताया कि ‘कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा। किन्तु हरिनाम एवं हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जायेगा।’

अपने प्रश्नों का जवाब मिलने के बाद पांडव अपने राज्य को लौट गये। और अपने हस्तिानापुर का राज्य संभाला। लेकिन महाभारत युद्ध के बाद अनेक अप्रिय घटना घटने लगी। जिसमें की कृष्ण द्वारिका चले गए। यादव राजकुमार धर्म का मार्ग छोड़ अधर्म के मार्ग में चल दिए तथामास-मदिरा का सेवन करने लगे। परिणाम यह हुआ की सभी यादव आपस में ही लड़ कर मर गए जिनमे कृष्ण पुत्र साम्ब भी थे।बलराम ने एक नदी के तट में जाकर ध्यान मुद्रा में लीन होकर अपने प्राण त्यागे तथा

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एक शिकारी ने श्रीकृष्ण के पैर के तलवे में हिरण के भर्म में तीर मार दिया जिस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने भी पृथ्वी छोड़ अपने लोक को प्रस्थान किया। पांडवों ने श्रीकृष्ण का श्राद किया व उनकी पत्निया रूक्मणी व हेमवती आदि अपने प्रभु संग ही सती हो गई।

वहीं पांडव भी स्वर्ग सिधार गए तथा सम्पूर्ण राज्य पांडवों के बाद उनके वंशज राजा परीक्षित के हाथ में आ गयी। वे स्वभाव में बहुत ही सीधे व दयालु थे तथा धर्म का अनुसरण करते हुए राज्य चला रहे थे।

kalyugएक दिन कलयुग उनके पास आया तथा उनके विन्रम भाव का फायदा लेते हुए उनसे अपने रहने के लिए स्थान मांगा। राजा परीक्षित कलयुग से मनुष्य पर पड़ने वाले प्रभाव से परिचित थे अत: उन्होंने कलयुग की एक ना मानी जिससे उसके रोने-बिलखने को देख सोना, चुआं और मधुशाला जैसे तीन स्थानों पर उसका निवास होने का वचन दे दिया। जिसके बाद उसने उन तीन स्थानों पर तुरन्त आपना वास कर लिया। कालसर्प दोष होने के कारण राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई जिस के बाद कलयुग को कोई नही रोक पाया और बिना किसी तय सीमा के कलयुग युगो-युगो से यही निवास करने लगा।

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