उज्जैन में महाकाल ज्योतिर्लिंग के अलावा 84 महादेव मंदिर प्रसिद्ध हैं, यह सभी महादेव के मंदिर अपने आप में अलग-अलग धर्मिक महत्वों के लिए जाने जाते हैं.
क्या आपको सपनों में आपके पितृ किसी पशु योनि में होने का आभास कराते हैं? अगर हां, तो आप अपने पितरों को इस योनि से मुक्ति दिला सकते हैं. मध्यप्रदेश की धर्मिक राजधानी उज्जैन में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसके बारे में स्कंद पुराण के अवंती खंड में भी उल्लेख मिलता है. स्कंद पुराण में लिखा है कि यदि यहां सच्चे मन से भगवान के मात्र दर्शन ही कर लें तो पूर्वज पशु योनि से मुक्त हो जाते हैं.
84 महादेव में 21 वां स्थान रखने वाले श्री कुक्कुटेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है. यह मंदिर रामघाट पर उदासीन अखाड़े के नीचे गंधर्व घाट पर स्थित है. इस मंदिर की महिमा बताते हुए पंडित सचिन गुरु ने बताया कि मंदिर में भगवान की काले पाषाण की अतिप्राचीन प्रतिमा के साथ ही माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी, भगवान श्री गणेश और नंदी जी की प्रतिमा विराजमान है. मंदिर में दो शंख, चंद्र व सूर्य की प्रतिमाएं भी हैं. मंदिर के पुजारी पंडित सचिन गुरु ने बताया कि ऐसे पितृ जो कि कीट, पतंगा, सर्प, पशु और अन्य योनियों में अनेक कष्टो को भुगत रहे हैं. उन्हे इस शिवलिंग के दर्शन करने मात्र से ही इन योनियों से मुक्ति मिल जाती है.
कुक्कुटेश्वर महादेव की कथा
कई साल पहले कौशिक नाम के एक राजा हुआ करते थे, जिनके राज्य में सभी सुख सुविधाएं होने से जनता काफी खुश थी. लेकिन, राजा कोशिक के साथ एक बड़ी परेशानी यह थी कि वह दिन में तो मनुष्य की योनि में रहते थे लेकिन रात के समय कुक्कुट (मुर्गे) का रूप धारण कर लेते थे. राजा के कुक्कुट (मुर्गे) का रूप धारण करने के कारण उनकी रानी विशाला काफी परेशान रहती थी. उसे राजा से पति का सुख प्राप्त नहीं हो रहा था, जिसके कारण एक दिन परेशान होकर रानी ने अपनी जान देने का विचार किया और वह इसके लिए गालव ऋषि के पास पहुंच गई. उन्होंने आश्रम में ऋषि से अपने मन की बात कही और उनसे इस समस्या का समाधान मांगा.
ऋषि ने बताया उपाय
गालव ऋषि ने बताया कि तुम्हारा पति पूर्व जन्म में राजा विदूरत का पुत्र था. जिसने मांसाहारी होने के साथ अनेकों कुक्कुटों का भक्षण किया है. इसी वजह से कुक्कुटों के राजा ताम्रचूड़ ने उसे श्राप दिया कि वह क्षय रोग से (मुर्गे) का रूप धारण कर लेता है. जब विशाला ने ऋषि से इस रात की मुक्ति का उपाय पूछा तो मुनि ने उन्हें महाकाल वन में स्थित शिवलिंग का पूजन अर्चन करने को कहा. पूजन के बाद कुछ ऐसा चमत्कार हुआ कि राजा कोशिक को कुक्कुट (मुर्गे) की योनि से मुक्ति मिल गई. मान्यता है कि इस मंदिर पर पूजन अर्चन करने से ऐसे पितृ जो कि पशु की योनि भुगत रहे हैं उन्हें इस योनि से मुक्ति मिलती है.
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