कौन से रत्न कब और कैसे धारण करें

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लाल मूंगा रत्न कब और कैसे धारण करें

  • मूंगा रत्न का स्वामी ग्रह – मूंगा रत्न का संबंध मंगल ग्रह से है।
  • मूंगा रत्न किस धातु में पहनना चाहिए – चांदी, सोना या कांस्य की धातु में धारण करना चाहिए
  • मूंगा रत्न किस दिन धारण करना चाहिए – मंगलवार (शुक्ल पक्ष) पहनना शुभ माना गया है।
  • लाल मूंगा रत्न को किस उंगली में पहनना चाहिए – दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में – मूंगा रत्न को भी आप रिंग फिंगर में पहन सकते हैं।
  • मूंगा रत्न की शुद्धिकरण विधि – लाल मूंगा रत्न को गंगाजल में डुबाकर शुद्ध कर लें।

लाल मूंगा रत्न धारण करने की विधि – एक लाल रंग का कपड़ा लें और रत्न को उस पर रख ले। रत्न पर कुछ फूल, तुलसी के पत्ते, शहद और कच्चा दूध चढ़ाएं। फिर इसे पानी से धो लें और इसे सक्रिय करने के लिए मूंगा रत्न मंत्र का 108 बार जाप करें। जब आप 108वीं बार मंत्र का जाप कर रहे हों तो अपना रत्न धारण कर लें।

माणिक रत्न कब और कैसे धारण करें

  • माणिक रत्न का स्वामी ग्रह – सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है।
  • माणिक रत्न किस धातु में पहनना चाहिए – सोना, तांबा, पंचधातु या अष्टधातु में जड़वाकर पहनना चाहिए
  • माणिक रत्न किस दिन पहनना चाहिए – शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष का रविवार प्रातः काल होता है।
  • माणिक रत्न को किस उंगली में पहने – अनामिका उंगली यानी कि रिंग फिंगर में पहनना शुभ होता है।
  • माणिक रत्न की शुद्धिकरण विधि – माणिक रत्न को शुद्ध करने के लिए आप गंगाजल या गाय के कच्चे दूध (बिना उबाला हुआ) का उपयोग कर सकते हैं। पत्थर को 10 से 15 मिनट के लिए तरल में छोड़ दे, फिर निकाल के उसे शुद्ध कपडे से साफ़ करले ।

माणिक धारण करने की विधि – माणिक रत्न को शुभ घड़ी में पहने। सुबह 04:00 बजे से 07:00 बजे के बीच सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। अपना दैनिक पूजा अनुष्ठान पूरा करें, फिर अपना रत्न लें और पूजा घर में प्राथना करने की स्थिति में बैठें।

सूर्य देव की कृपा पाने की प्रार्थना करते हुए माणिक्य रत्न के मंत्र का 108 बार जाप करें। अंतिम बार जाप करते हुए अपना रत्न धारण करें।

पन्ना रत्न कब और कैसे धारण करें

  • पन्ना रत्न का स्वामी ग्रह – पन्ना बुध ग्रह का रत्न है।
  • पन्ना रत्न किस राशि वाले को पहनना चाहिए – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना शुभ माना जाता है।
  • पन्ना रत्न किस धातु में पहनना चाहिए – पन्ना को सोना या चांदी or पंचधातु, अष्टधातु में जड़वाकर पहनना चाहिए
  • पन्ना रत्न को धारण करने का शुभ दिन पहनना चाहिए – बुधवार की सुबह पहनना शुभ माना गया है।
  • पन्ना रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए – पुरुषों को पन्ना रत्न की अंगूठी अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में पहननी चाहिए, जबकि महिलाएं इसे अपने दोनों में से किसी भी हाथ की छोटी ऊँगली में पहन सकती हैं।
  • पन्ना रत्न की शुद्धिकरण विधि – आप असली पन्ना रत्न को कच्चे गाय के दूध, गंगाजल या पंचामृत में डुबाकर शुद्ध कर सकते हैं।

पन्ना रत्न धारण करने की विधि – सुबह 10:00 बजे से पहले उठकर, नाह धो लें व् अपने रोज की पूजा कर ले। फिर अपना रत्न लें, मंदिर में बैठें, और पन्ना रत्न के मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर इसे धारण करें।

गोमेद धारण करने की विधि

  • गोमेद रत्न का स्वामी ग्रह – राहु ग्रह से माना जाता है।
  • गोमेद रत्न को किस धातु में पहनना चाहिए – गोमेद रत्न को अष्टधातु या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनना चाहिए
  • गोमेद पहनने का शुभ दिन पहनना चाहिए – बुधवार या शनिवार के दिन पहनना शुभ माना गया है।
  • गोमेद किस उंगली में पहनना चाहिए – आपके दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है।
  • गोमेद रत्न की शुद्धिकरण विधि – गोमेद को शुद्ध करने हेतु, गंगाजल या पंचामृत लें और उसमें अपनी गोमेद अंगूठी या रत्न को शुद्ध करने के लिए कुछ मिनटों के लिए छोड़ दें।

गोमेद को धारण करने की प्रक्रिया – सुबह जल्दी स्नान करने के बाद, रत्न के साथ अपने पूजा घर में प्राथर्ना करने की अवस्था में बैठें और मंत्र का 108 बार भक्तिपूर्वक जाप करें।

पुखराज कब और कैसे धारण करें

  • पुखराज रत्न का स्वामी ग्रह – बृहस्पति का रत्न माना जाता है।
  • पुखराज को किस धातु में पहनना चाहिए– पंचधातु या अष्टधातु or पुखराज को सोने में धारण करना चाहिए
  • पुखराज रत्न को धारण करने का दिन – पुखराज को गुरुवार को धारण करना सबसे शुभ माना जाता है।
  • पुखराज किस उंगली में पहनना चाहिए – पुरूष दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में और महिलाएं दाएं व बाएं दोनों हाथों की तर्जनी उंगली में पहन सकती है।
  • पुखराज रत्न की शुद्धिकरण विधि – अपने रत्न को गंगा जल, कच्चे गाय के दूध, शहद, तुलसी के पत्तों (भारतीय तुलसी), और घी के मिश्रण में कुछ मिनट (15 से 30 मिनट) के लिए छोड़ दें, और फिर इसे पानी से धो लें।

पुखराज रत्न पहनने की विधि – सुबह 10:00 बजे से पहले पीले नीलमणि पत्थर के लिए वैदिक पूजा करें। स्नान करने के बाद अपने रत्न को ले जाकर शुद्ध कर लें। गुरु ग्रह का आशीर्वाद मांगें और अपने रत्न को सक्रिय करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें।

नीलम रत्न कब और कैसे धारण करें

नीलम रत्न नीले रंग के विभिन्न शेड्स में आता है, यही कारण है कि इसे भारत में नीलम मणि के नाम से जाना जाता है। सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला नीला नीलम कश्मीर में पाया जाता है । नीलम रत्न की सगाई की अंगूठियाँ दुनिया में सबसे लोकप्रिय हैं चूँकि यह रत्न काफी आकर्षक लगता है व् इसकी खुबिया इंसान के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह रत्न पहनने वाले के मन, शरीर और आत्मा पर प्रभाव डालता है। यह मन को नियंत्रण में रखने में मदद करता है, शारीरिक रूप से व्यक्ति को स्वस्थ रखता है और आध्यात्मिक रूप से पहनने वाले को उच्च शक्तियों यानि भगवान से जुड़ने में मदद करता है।

  • नीलम रत्न का स्वामी ग्रह – नीलम शनि ग्रह का रत्न है
  • नीलम रत्न किस धातु में पहनना चाहिए – नीलम रत्न को चांदी, सोना, या पंचधातु में पहनना चाहिए
  • नीलम को पहनने का दिन धारण करना चाहिए – शनिवार के दिन सुबह ही धारण करना चाहिए।
  • नीलम रत्न को किस उंगली में धारण करे – मध्यमा उंगली में पुरुष इसे दाहिने हाथ में पहन सकते हैं जबकि महिलाएं इसे अपने दोनों हाथों में से किसी भी हाथ में पहन सकती हैं
  • नीलम रत्न की शुद्धिकरण – नीलम रत्न को गाय के कच्चे दूध या गंगा जल से शुद्ध करे।

नीलम रत्न धारण करने की विधि – नीलम को पहनने के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। अपनी दैनिक पूजा पूरी करें और फिर नीलम रत्न मंत्र का 108 बार जाप करें और जब आप आखिरी बार जाप कर रहे हों तो इसे धारण कर लें।

नीलम धारण करने का मंत्र – || ॐ शम शनिश्चराये नम: ||

मोती धारण करने की विधि

  • मोती का स्वामी ग्रह – चंद्रमा का जीवन पर प्रभाव पड़ता है
  • मोती किस धातु में पहनना चाहिए – चांदी की धातु में ही धारण करना चाहिए
  • मोती धारण करने का शुभ दिन – शुक्ल पक्ष का सोमवार को मोती धारण करना शुभ माना जाता है
  • मोती को किस उंगली में पहने– दाहिने हाथ की छोटी उंगली में मोती धारण करना चाहिए।
  • मोती रत्न की शुद्धिकरण विधि – मोती को पंचामृत, गाय के दूध (कच्चे) या गंगाजल से शुद्ध करें।

मोती पहनने की विधि – सुबह के शुरुआती घंटों में, दैनिक प्रार्थना के बाद, अपना पत्थर लें और पूजा की स्थिति में बैठें। भगवान चंद्रमा यानी चंद्र देव की प्रार्थना करते हुए अपने पत्थर पर कुछ तुलसी के पत्ते, फूल और कुछ अगरबत्ती चढ़ाएं। मोती रत्न के मंत्र का 108 बार जाप करें। अंतिम पाठ में मोती धारण करें।

लहसुनिया धारण करने की विधि

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लहसुनिया रत्न की ऊर्जाओं से आपके स्वास्थ्य पर भी असर होता है। यह रत्न पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, साथ ही, आपकी आँखों की शक्ति को बढ़ाता है।

  • लहसुनिया का स्वामी ग्रह – केतु ग्रह को माना जाता है।
  • लहसुनिया रत्न को किस धातु में पहने – सोना या चांदी के धातु में जड़वाकर पहनना चाहिए
  • पहनने का शुभ दिन – शुक्ल पक्ष का शनिवार या मंगलवार के दिन धारण किया जा सकता है
  • कैट्स आई स्टोन /लहसुनिया रत्न को किस उंगली में पहने– दाहिने हाथ की छोटी उंगली
  • लहसुनिया रत्न की शुद्धिकरण विधि – लहसुनिया रत्न को शहद, घी, पानी और कच्चे दूध के मिश्रण में छोड़ दें, फिर गंगाजल से धो लें। आप पंचामृत का इस्तेमाल भी कर सकते है।

लहसुनिया कैसे धारण करें – प्रातःकाल अपनी दैनिक पूजा-अर्चना पूरी कर अपना रत्न लेकर अपने मंदिर में बैठ जाएं। भगवान के प्रति अपनी भक्ति दिखाएं और प्रार्थना करें। लहसुनिया रत्न के मंत्र का 108 बार जाप करें और अंत में इसे धारण करें।

हीरा धारण करने की विधि

  • हीरे का स्वामी ग्रह – शुक्र ग्रह का रत्न माना गया है
  • हीरे को किस धातु में पहनना चाहिए – सोने या चांदी के धातु में जड़वा कर धारण किया जा सकता है।
  • हीरा धारण करने का शुभ दिन – शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को सूर्य के उदय होने के बाद धारण करना चाहिए
  • हीरा रत्न किस उंगली में पहने – मध्यमा उंगली
  • हीरे की शुद्धिकरण विधि – अपने हीरे को शुद्ध करने के लिए रत्न को 15 से 30 मिनट तक पंचामृत में रखें, फिर गंगाजल से धो लें।

हीरा पहनने की विधि – शुक्रवार को सुबह जल्दी उठें, अपने दैनिक अनुष्ठानों को पूरा करें, और फिर वैदिक पूजा करने के लिए अपने रत्न के साथ अपने मंदिर में बैठें। अपने हीरे को शुद्ध करें, फिर भगवान से प्रार्थना करें और आशीर्वाद मांगें। अब शुक्र के मंत्र का 108 बार जाप करें और जब आप आखिरी बार मंत्र का जाप कर रहे हो, हीरे की अंगूठी या रत्न पहन ले।

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