मान्यताएं के अनुसार, हमारे भारत देश में कुल ५ ऐसे मंदिर हैं। जिनका निर्माण मात्र एक रात में हुआ था। परन्तु इसे देखने के बाद १ दिन क्या, कई महीने क्या, कई वर्षों की बात कहे तो शायद विश्वास हो। इसी क्रम में आज हम आपको ऐसे ही ५ मंदिरों के बारे में अवगत कराऐेंगे।
१.एक हथिया देवाल-
यह मंदिर उत्तराखंड के पीथौरागढ़ में स्थित है जो कि भगवान शिव को समर्पित हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक हाथ वाले शील्पकार ने एक रात में ही कर दिया था। परन्तु एक रात में निर्माण करने के चलते शील्पकार ने शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया था। जिसके परिणाम स्वरूप इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा नहीं होती हैं। यह मंदिर में दूर-दूर से लोग मंदिर की स्थापत्य कला को निहारने आते है और भगवान शिव की बिना पूजा किये वापिस लौट जाते हैं।
२.ककनमठ-
यह मध्यप्रदेश के मुरैना जिला से तकरीबन २० किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव को समर्पित ककनमठ नामक मंदिर हैं। यह कचछवाहा वंश के राजा कीर्त सिंह के शासन काल में बना था। इसके पीछे की कथा प्रचलित है कि यह मंदिर भगवान भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने एक रात में सम्पूर्ण किया था। इस मंदिर के निर्माण में अगर देखने योग्य बात है तो वो हैं कि इसके निर्माण में उपयोग में लाये गये पत्थर। इन पत्थरों को इस तरह से एक के ऊपर एक रखा गया है कि इसमें गाड़े या चूने का प्रयोग हुआ ही नहीं। जब से बना है तब से अब तक में इसे किसी तरह के तूफान ने अपने जगह से एक इंच तक हिला नही पाया।
३.भोजेश्वर मंदिर-
यह मंदिर मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल से तकरीबन ३२ किलो मीटर दूर भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर स्थित हैं। यह मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज(१०१०ई-१०५५ई) द्वारा किया गया था। इस मंदिर की खासियत इसके गर्भ गृह में रखा शिवलिंग हैं। यह विश्व का एकलौता शिवलिंग हैं जो कि एक ही पत्थर से बना हुआ हैं। इसके मंदिर का निर्माण में कहा जाता है कि इसे एक रात में बनना था। परन्तु सुबह हो जाने के कारण यह मंदिर अधूरा रहा गया। तभी से यह अपने अधूरे पन में ही पूजा जाता हैं। यह मंदिर भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं।
४.गोविंद देवजी मंदिर, वृंदावन-
इस मंदिर से जुड़ी बात अपने में बहुत रोचक हैं। यह मंदिर कृष्ण जी लीलास्थली वृंदावन में स्थित हैं। मान्यताओं के अनुसार, भूतों या दिव्य शक्तियों ने पूरी रात में इस मंदिर का निर्माण शुरू किया था। लेकिन सुबह होने से पहले ही किसी ने चक्की चलानी शुरू कर दी जिसकी आवाज से मंदिर का निर्माण करने वाले काम पूरा किए बिना चले गए। कहते है कि करीब से देखने पर अधूरा सा प्रतित होता हैं।
५.देवघर मंदर-
यह मंदिर झारखंड में स्थित देवघर के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर के बारे में कथा है कि यह मंदिर देवों के शिल्पकार विश्वकर्मा की मदद से बनी थी। इस मंदिर के बनने का लक्ष्य रात भर की थी। लेकिन सुबह होने के कारण यह अधूरा रह गया। इसके अधूरापन का सबूत देवी पार्वती का मंदिर जो कि बाबा बैजनाथ और विष्णु मंदिर से छोटा हैं।