जानिए कैसे करे सेहत से जुड़ी समस्याओं का उपाय अपनी राशि के अनुसार?
ज्योतिष के अनुसार हर राशि का शरीर के कुछ विशेष अंगों पर अधिकार होता है और जब शरीर के वे अंग बीमार या समस्याग्रस्त होते हैं, तब उन अंगों से संबंधित राशि के ऊर्जा उन्हें स्वस्थ्य करने में कारगर साबित होती हैं। ऐसे में सेहत से जुड़ी समस्याओं का सही समाधान चाहते हैं, तो अपनी राशि के अनुसार चिकित्सा करना विशेष रूप से एक फायदेमंद उपाय साबित हो सकता है। जानिए ज्योतिष के अनुसार कैसे कर सकते हैं इलाज:-
मेष:-
यह राशि शरीर में सिर, बाल और चेहरे का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस तरह के लोग मनोभाव, उत्साह, आत्मविश्वास और गुस्से का नियंत्रण भी इन्हीं के पास होता है। मेष राशि वालों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर प्रमुख रूप से माइग्रेन, आत्मविश्वास की कमी, नाक बहना, साइनस, त्वचा समस्याएं, एग्जिमा, रेशेस और बालों के झड़ने की समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय:-
अगर आप खुद को दबाए हुए हैं या अंधेरे में रखें हुए हैं और आपका अहंकार आपके लिए सबसे ऊपर है, तो आपको खुद में बदलाव कर अपनी ऊर्जा को संतुलित करने की जरूरत है। आपको अपने अत्यधिक सक्रिय दिमाग को थोड़ा आराम देना चाहिए और छोटी-मोटी चीजों को अनदेखा करने की कला आनी चाहिए। अपने आसपास की दुनिया और लोगों पर ध्यान दीजिए और खुश रहिए।
वृषभ:-
विशेष संबंध गले, गर्दन एवं उससे जुड़ी समस्याओं जैसे थायरॉइड, टॉन्सिल्स, कंधे आदि से होता है। इसकी ऊर्जा असंतुलित होने पर कंधे के ऊपरी भाग में दर्द एवं गले की समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय:-
जीवन प्रति प्रायोगिक, व्यवस्थित और कर्म प्रधान रूख अपनाने की। अगर आप अपना आधार खो रहे है या फिर किसी ऐसी चीज में उलझे है जिसके समाप्त होने की संभावना नजर नहीं आती, तो इस समय आपको अपनी ऊर्जा को गले पर केंद्रित कर इसे संतुुलित करने की जरूरत है। ऐसा आप नीले क्रिस्टल की सहायता से कर सकते हैं। आप चाहें तो गायन में रूचि लें या फिर अपने बाहरी वातावरण में कुछ बदलाव भी कर सकते हैं।
मिथुन:-
ऊर्जा का असंतुलन होने पर इस राशि के लोगों में विचारों में बिखराव, कंफ्यूज होना, हाथों या बाहों में दर्द, अभिव्यक्ति देने में भय, बिना सोचे समझे बोल देना या इधर-उधर की बातें करने एवं सुनने में दिलचस्पी होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उपाय:-
इनसे बचने के लिए मेडिटेशन करना या डेली डायरी लिखना बेहतर उपाय हो सकता है। ऐसा करने से आपको शांत चित्त होने में मदद मिलेगी, साथ ही दिमाग में बार-बार आने वाले विचारों से भी छुटकारा मिलेगा।
कर्क:-
सेहत के लिहाज से कर्क राशि का स्वामित्व सीने, वक्षस्थल और ह्य्दय पर होता है। इन लोगों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर मनोभावों का अनियंत्रित होना, अतिसंवेदनशीलता, अकेलापन पसंद करना, श्वसन संबंधी समस्याएं, कफ आदि समस्याएं होती हैं।
उपाय:-
ऐसा होने पर आपके लिए खुली हवा में प्राणायाम एवं हल्का फुल्का व्यायाम करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा लोगों के साथ घुलना-मिलना, बातचीत करना, खुद से प्यार करना भी आपको सीखना होगा।
सिंह:-
दिल पर इस राशि का राज चलता है साथ ही पीठ व कंधों से भी इसका संबंध है। सिंह राशि वालों में ऊर्जा का असंतुलन होने पर दिल से जुड़ी समस्याएं, मन की भावनाएं व्यक्त करने में दिक्कत, आत्मविश्वास की कमी, शर्मीलापन और डर होने की संभावनाएं बनती हैं।
उपाय:-
इससे बचने के लिए किसी प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति जैसे डांस, कविता करना, अभिनय आदि, आपकी ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक हो सकती है। दिल क्षेत्र के लिए योगा करना लाभकारी होगा और अपनी भावनाओं को किसी करीबी से बांटना भी जरूरी हैं।
कन्या:-
कन्या राशि पेट और पाचन तंत्र पर शासन करती है। इस राशि के लोग जमीनी, जीवन के प्रति प्रोत्साहित करने वाले होते हैं। कई बार ये लोग बारीकियों पर नजर रखने वाले और जिद्दी भी होते हैं।
उपाय:-
दिमाग को शांत रखें एवं ताने या चिड़चिड़ापन से किनारा करें। मेडिटेशन, कलात्मक गतिविधियां और व्यायाम करें। सेहतमंद चीजें, सब्जियां एवं फल खाएं और स्वस्थ रहें।
तुला:-
तुला राशि प्रमुख रूप से किडनी, गॉल ब्लेडर और शरीर का निचले हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। इन लोगों में ऊर्जा असंतुलन होने पर या तो ये पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होते हैं। ब्लेडर इंफेक्शन, बार-बार पेशाब आना या कमर में दर्द की समस्या हो सकती हैं।
उपाय:-
इससे बचने के लिए जीवन में समझौता करना और कभी-कभी दूसरों के बारे में सोचना आपको जरूर सीखना होगा। इसके अलावा अगर आप दूसरों पर कुछ ज्यादा ही निर्भर करते हैं, तो यही सही समय है खुद की ताकत और आत्मनिर्भरता को पहचानने का।
वृश्चिक:-
यह राशि प्रमुख रूप से जननेंद्रिय अंगों पर शासन करती है। ऊर्जा का असंतुलन होने पर इनमें परिवर्तन के प्रति डर, चीजों, स्थानों या बातों से जुड़े रहना अर्थात छोड़ नहीं पाना, अत्यधिक तनाव, संबंध बनाने में अरूचि या फिर इस तरह की इच्छाओं में अत्यधिक वृद्धि हो सकती हैं।
उपाय:-
मेडिटेशन करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। पानी एवं पानी वाले स्थानों के पास समय व्यतीत करना भी आपकोे ताजगी देने एवं भावनात्मक सहयोग देने में सहायक होगा।
धनु:-
यह राशि हिप्स यानि नितंब और कूल्हों का प्रतिनिधित्व करती है। इसके अलावा लिवर का संबंध भी इसी राशि से है।
उपाय:-
ऊर्जा असंतुलन होने पर इन्हें लिवर संबंधी समस्याएं, कूल्हे और हिप्स की समस्याएं हो सकती है। इन्हें आराम न करने या अधिक समय तक एक स्थान पर विराजीत रहने से भी समस्या हो सकती है। निष्क्रियता, कुछ करने या सीखने का मन न होना भी इसमें शामिल है।
मकर:-
आपकी हड्डियों, घुटनों एव दांतों पर इस राशि का पूर्ण साम्राज्य होता है। इनकी ऊर्जा असंतुलित होने पर इन्हें घुटनों या जोड़ों से संबंधित समस्या, दांतों में दर्द, केविटी हो सकती हैं।
उपाय:-
मेडिटेशन करना फायदेमंद हो सकता है। योगा और लेखन भी मददगार हो सकता।
कुंभ:-
यह राशि का स्वामित्व एडियों एवं नर्वस सिस्टम पर होता है। ऊर्जा का असंतुलन होने पर यह आपको पागल वैज्ञानिक भी प्रतीत हो सकते हैं या ऐसा लग सकता है कि इनकी सोच सच्चाई से कोसों दूर हैं। ये हडबड़ी वाले हो सकते हैं और इन्हें एडियों की समस्या हो सकती हैं।
उपाय:-
इनके लिए कलात्मक होना एवं जीवन को नई युक्तियों के साथ जीना, ऊर्जा संतुलन के लिए आवश्यक है। बड़ी सोच रखें और अपनी युक्तियों के साथ उस पर काम करें। हर दिन कुछ ऐसा करें जो आपको प्रेरण दे और अच्छे लोगोें के साथ रहकर उनसे सीखते और बढ़ते रहें।
मीन:-
इस राशि का शासन पाइनियल ग्रंथि पर होता है। ऊर्जा असंतुलन होने पर ये लोग जमीनी नहीं रह जाते। दूसरों की जरूरतों को भी नहीं समझ पाते और पहुंच से दूर हो जाते हैं। इनमें अहंकार की भावना हो सकती है और कभी-कभी डर भी।
उपाय:-
ऊर्जा संतुलन के लिए आवश्यक है कि ये लोग आध्यात्मिक व आत्मिक रूप से खुद से जुड़े रहें। मेडिटेशन इसके लिए बेहद प्रभावी तरीका है। इसके लिए कलात्मक होना एवं अपनी ऊर्जा को किसी उत्पादकता में लगाना भी कारगर होगा। पैरों की मसाज लाभकारी होगी।