जानें अक्षय तितिया का सम्पूर्ण गुप्त भेद!
अक्षय का अर्थ हैं जिसका ‘‘क्षय या क्षति न हो सके’’। और हम सब यह जानते हैं। कि जिसका भी निमार्ण या उत्पत्ति हुई उसका एक ना एक दिन नाश होना तय है। ऐसे में अक्षय शब्द इन सभी बातों से परे हैं। यानि यह एक अपवाद हैं। आज हम इसी क्रम में आपकों को कुछ रोचक और गुप्त बातों से रूबरू कराऐंगे।
१. ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था।
२. भीषण तपस्या उपरांत कुबेर को आज ही के दिन विभिन्न पदार्थों से भरपूर भूलोक का लोकिक खजाना मिला था।
३. भारत के प्राचीन पुराणिक इतिहास अनुसार भागीरथ द्वारा आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी के देवलोक की लोकिक भूमि हिमालय स्थित भूमि पर हुआ था।
४.भूलोक में अन्न की वृष्टि करने वाली माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।
५. श्रीकृष्ण और उनके निर्धन मित्र सुदामा का मिलन भी आज ही के दिन हुआ था।
६. वेदव्यास रचित महाभारत अनुसार द्रोपदी को उसके हो रहे चीरहरण से श्री कृष्ण जी ने आज ही के दिन बचाया था।
७. बद्री नारायण जी के मंदिर का पट आज ही के दिन खोला जाता हैं।
८. बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में पुरे साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है ताकि उनके सुदामा जैसे निर्धन मित्र उनके श्री विग्रह चरणों में नत्मस्तक हो कर दर्शन कर ले जो अन्यथा पुरे साल भर वस्त्रों से ढके रहते हैं।
९.भ्रिग्हूऋषि कुल में महर्षि जमदग्नि जी के घर महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था।
१०.उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हैं एक ऐसा मंदिर जो अक्षय तृतीया के दिन खुलता है। यह मंदिर दीवाली के बाद बंद कर दिया जाता हैं।
नोट:-
‘‘इसीलिए हर साल वैसाख मॉस की शुक्ल पक्ष तृतीय का धर्म परायण ग्यानी और विद्वान लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। ताकि इस दिन उनके द्वारा शुरू किया हुआ उत्तम कार्य सफलता के साथ लम्बे समय के लिए स्थायी होकर बना रहें।’’