मंगल ग्रह पर जीवन का रहस्य- यदि वहां जीवन था, तो आज वहां उसका अस्तित्व क्यों नहीं?

0
210
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
3

मंगल ग्रह पर एक बार फिर कुछ ऐसे सबूत दिखे हैं जिनसे वहां जीवन होने की आशा जगी है। विज्ञानियों का मानना है कि जीवन हर अनुकूल वातावरण में सहज रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। जीवन के निर्माण की सामग्री ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है।

मंगल ग्रह जीवन के बारे में नया सिद्धांत जलवायु माडल के अध्ययन पर आधारित है

मंगल ग्रह पर अतीत में जीवन की उपस्थिति के बारे में कई तरह के कयास लगाए गए हैं। यदि वहां जीवन था, तो आज वहां उसका अस्तित्व क्यों नहीं है? एक नए अध्ययन में विज्ञानियों ने निष्कर्ष निकाला है कि मंगल ग्रह पर शुरू में जीवाणु जरूर पनपे, लेकिन इन्होंने खुद को भी विलुप्त कर दिया। उनका मानना है कि मंगल ग्रह के प्राचीन जीवाणु जीवन ने संभवतः जलवायु परिवर्तन के माध्यम से ग्रह के वातावरण को नष्ट कर दिया जो अंततः जीवाणुओं के विलुप्त होने का कारण बना।

3.7 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर रहने वाले सूक्ष्म जीवों का…!

मंगल ग्रह जीवन के बारे में नया सिद्धांत जलवायु माडल के अध्ययन पर आधारित है। इस माडल में लगभग 3.7 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर रहने वाले सूक्ष्म जीवों का अनुकरण किया गया था। ये जीव हाइड्रोजन का उपभोग करते थे और मीथेन का उत्पादन करते थे। उस समय मंगल की वायुमंडलीय परिस्थितियां प्राचीन पृथ्वी पर उसी समय मौजूद परिस्थितियों के समान थीं। लेकिन मंगल के जीव पृथ्वी जैसा वातावरण बनाने में नाकाम रहे जो उन्हें फलने-फूलने और विकसित होने में मदद करता। संभवतः उन्होंने अपना जीवन शुरू होते ही खुद को बर्बादी की तरफ धकेल दिया था।

पृथ्वी की तुलना में सूर्य से अधिक दूर होने के कारण मंगल जीवन के लिए…!

विज्ञानियों द्वारा अपनाए माडल से पता चलता है कि पृथ्वी पर जीवन के पनपने और मंगल ग्रह पर उसके नष्ट होने की वजह दोनों ग्रहों की भिन्न गैस संरचना और सूर्य से उनकी सापेक्ष दूरी है। पृथ्वी की तुलना में सूर्य से अधिक दूर होने के कारण मंगल जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने के लिए कार्बन डाइआक्साइड और हाइड्रोजन की धुंध पर अधिक निर्भर था। ये दोनों ग्रीनहाउस गैसें हैं जो गर्मी को जकड़ लेती हैं।

मंगल ग्रह की सतह का तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस…!

प्राचीन मंगल ग्रह के रोगाणुओं ने हाइड्रोजन हजम कर ली और मीथेन का उत्पादन किया। उन्होंने धीरे-धीरे अपने ग्रह के गर्मी को जकड़ने वाले आवरण को खा लिया। उन्होंने मंगल को अंततः इतना ठंडा बना दिया कि वह जीवन के रूपों को विकसित करने लायक नहीं रहा। मंगल ग्रह की सतह का तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस की एक सहनीय सीमा से गिरकर माइनस 57 सेल्सियस हो गया और जीवाणु ग्रह की भीतरी परत की तरफ भाग गए। अपने सिद्धांत के प्रमाण खोजने के लिए शोधकर्ता यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या इनमें से कोई भी जीवाणु बच पाया। उपग्रहों ने मंगल के पतले वायुमंडल में मीथेन के अंश देखे हैं।

संभव है कि ब्रह्मांड में जीवन नियमित रूप से प्रकट होता है

विज्ञानियों का मानना है कि जीवन हर अनुकूल वातावरण में सहज रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। जीवन के निर्माण की सामग्री ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है। अतः यह संभव है कि ब्रह्मांड में जीवन नियमित रूप से प्रकट होता है। लेकिन ग्रह की सतह पर रहने योग्य परिस्थितियों को बनाए रखने में जीवन की अक्षमता इसे बहुत तेजी से विलुप्त कर देती है।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
3

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here