रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में धुल जाते हैं सारे पाप, जानें क्या है यहां के कुंड का रहस्य

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द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है रामेश्वर मंदिर. मान्यता है कि यहां स्थिति शिवलिंग के दर्शन से समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है. जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग की महीमा

सावन का आखिरी दिन 12 अगस्त को है. शिव शंकर के इस प्रिय माह में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन और नाम जपने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. भोलेनाथ अपने भक्तों के तमाम दुख दूर कर देते हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है रामेश्वर मंदिर. रामेश्वर तीर्थ चार धाम में से एक है. मान्यता है कि यहां स्थिति शिवलिंग के दर्शन से समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है. इस पवित्र का संबंध भगवान श्रीराम से है. आइए जानते कैसे स्थापित हुए यहां महादेव.

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की रोचक बातें:

  • रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. कहते हैं दक्षिण में रामेश्वरम की महत्ता उत्तर में काशी के समान है. यहां रामनाथस्वामी के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है.
  • हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां कुंड में स्नान के बाद पापों से मुक्ति मिल जाती है. कहते हैं यहां मौजूद 24 कुंड (थीर्थम)का पानी इतना गुणकारी है कि इसमें डुबकी लगाने के बाद गंभीर बीमारी भी खत्म हो जाती है. यहां के थीर्थम का रहस्य आज तक कोई नहीं सलझा पाया. मान्यता है कि श्री राम ने अमोघ बाणों से इन कुंड का निर्माण किया था.
  • रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. इसके लिए विशेष तौर पर उत्तराखंड से गंगाजल यहां लाया जाता है.

किसने की रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना

पौराणिक कथा के लंका विजय के बाद श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था, क्योंकि रावण ब्राह्मण था. इस पाप का पार्यश्चित करने के लिए ऋषियों ने भगवान राम से शिवलिंग स्थापित कर अभिषेक करने के लिए कहा था. प्रभू श्रीराम ने पाप से मुक्ति पाने के लिए दक्षिणी तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर अभिषेक किया. एक और मान्यता है कि लंका से लौटते वक्त भगावन राम दक्षिण भारत के समुद्र तट पर रुके थे. ब्रह्म हत्या के पाप को मिटाने के लिए उन्होंने हनुमान जी को पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए कहा, बजरंगबली को आने में देरी हुई तो माता सीता ने दक्षिण तट पर बालू से शिवलिंग स्थापित किया. इसे रामनाथ कहा गया. इसे रामलिंग कहा गया. वहीं हनुमान जी द्वारा लाए शिवलिंग का नाम वैश्वलिंग रखा गया. तभी से यहां दोनों शिवलिंग की पूजा की जाती है. इसी कारण रामेश्वरम का रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है.

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