वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में 7वां भाव विवाह का योग बनता है. शुक्र व बृहस्पति ग्रह को विवाह का कारक माना गया है. अगर सप्तम भाव का स्वामी पाप ग्रहों के साथ हो या उनके प्रभाव से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो, तो विवाह में देरी होती है. जातक का विवाह कब होगा यह उसकी कुंडली में लग्नेश और सप्तम भाव के अधिपति की चाल को देखकर पता लगाया जाता है.

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विवाह होने की संभावना तभी बनती है जब ये दोनों शासक विवाह भाव या संबंधित भाव से गोचर करते हैं. यदि सभी ग्रह लग्न या सप्तम भाव में स्थित हों या परस्पर जुड़े हुए हों, तो विवाह तब तक नहीं हो सकता जब तक कि उनकी सभी स्थितियां अनुकूल न हो जाएं.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की संभावनाजिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में मंगल और शुक्र एक साथ होते हैं, वे विवाहेतर संबंधों में संलग्न होते हैं. यदि दोनों ग्रहों की युति हो तो ऐसे जातक विवाहेत्तर सम्बन्धों में उलझ सकते हैं और न चाहते हुए भी ऐसे सम्बन्धों में फंस सकते हैं. मंगल और शुक्र के साथ बुध भी हो तो बुद्धि से ऐसे संबंध बनते हैं. शनि और राहु या केतु की उपस्थिति से ऐसे संबंधों के मजबूती से बनने की संभावना बढ़ जाती है.जल्द शादी के लिए करें ये उपाय- लगातार 43 दिनों तक अविवाहित कन्याओं को नेल पॉलिश दान करने से आपकी कुंडली में विवाह की संभावना बनती है.- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो तो उसे हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए और मंगलवार का व्रत करना चाहिए.- पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर नियमित रूप से स्नान करने से शादी में आ रही अड़तचने खत्म हो जाती हैं.- विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए किसी पीपल के पेड़ की जड़ में लगातार 13 दिनों तक जल डालना चाहिए.

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