कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में जिस डिग्री पर बैठा है उससे 45 डिग्री की पहले में जब गोचर का शनि आता है तो शनि की साढ़ेसाती शुरू होती है। यह 45 डिग्री के दायरे में आने के साथ शुरू होती है और चंद्रमा से आगे निकलकर 45 डिग्री दूर चली जाए, तब तक चलती है। यह समय कुल साढ़े सात साल का होता है, इसी कारण इसे साढ़ेसाती कहते हैं। एक राशि तीस डिग्री की होती है। शनि का एक राशि में भ्रमण ढाई साल का होता है। चंद्रमा के दोनों ओर डेढ़ डेढ़ राशि यानी 45 डिग्री तक इसका भ्रमण यह स्थिति पैदा करता है। यानि ढाई ढाई साल के तीन हिस्से किए जा सकते हैं।
धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती
शनिदेव इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं ऐसे में धनु,मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। जबकि मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। 2022 से शनि मकर राशि को छोड़कर स्वयं की राशि कुंभ में प्रवेश कर जाएंगे। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही धनु राशि से शनि की साढ़ेसाती का अंत हो जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि शनि 2022 में वक्री चाल से चलते हुए फिर से मकर राशि में गोचर करेंगे। शनि के मकर राशि में वक्री और मार्गी होने से कुछ समय के लिए धनु राशि पर साढ़ेसाती लगेगी।
2025 में मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती खत्म होगी। कुंभ राशि से पूरी तरह शनि की साढ़ेसाती 23 जनवरी 2028 को हटेगी। कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है।