तीर्थाे का राजा प्रयाग राज जिसे हम यज्ञभूमि प्रयाग के नाम से भी जानते हैं। ऐसे भूमि में एकांत में एक ऐसा भगवा रंग में रंगा मंदिर हैं जिसे शायद हम जानते हों? यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। इस मंदिर में शिवलिंग के स्थान पर भगवान शिव की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित हैं। इसके बारें में कहा जाता है किे यह मंदिर तकरिबन ३०० वर्ष पूर्व बनाया गया था। इस मंदिर में स्थापित शिव मूर्ति को समस्त धार्मिक विधि विधान के साथ साधु संतों द्वारा इलाहाबाद के कीटगंज स्थित यमुना तट पर प्राण प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर की एक विशेष बात है तो इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव का नाम हैं वो है उनका नाम मौजगिरी बाबा। यह मंदिर अपने में एक तरह का अनोखा मंदिर है जो विश्व भर के शिवभक्तों की श्रद्धा का केंद्र हैं। इस मंदिर की विशेषता इसमें शिव मंदिरों की प्राचीन शैली और परंपरा साफ देखने को मिलती हैं। यहां प्रतिदिन भगवान मौजगिरी बाबा की बड़ी संख्या में शिवभक्त की मौजूदगी में पूजा होती है
बता दें कि इस मंदिर की देख-रेख जूना अखाड़े के साधु-संतों द्वारा की जाती हैं। यहां पर इन्हीं का नियम-कानून चलता हैं। और किसी तरह का आध्यात्मिक अनुष्ठान भी इन्हीं के आज्ञा के बाद सम्पन्न होता हैं। यहां पर भगवान शिव के चारों तरफ बड़ा चबूतरा बना हुआ हैं। जहां पर भक्तगण अपना-अपना अनुष्ठान पूर्ण करते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के समिप उनके चरण की बहुत सुंदर कुति प्रतिमा स्थापित है
ताकि भक्त मुख्य प्रतिमा को स्पर्श न करके उन्हीं के चरणों का स्पर्श कर पूर्ण अर्जित कर सके। इसके बारे में कहा जाता है कि जब प्रयाग में माघ स्नान या कूंभ स्नान का आयोजन होता हैं। और साधू-संत इलाहाबाद आते है तब वे इस मंदिर में आना कभी भी नहीं भूलते हैं। इस मंदिर में मौजगिरी बाबा के दर्शन के बाद उनका इलाहाबाद आना सफल मानते हैं। वैसे इस मंदिर के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। लेकिेन जो एक बार यहां आ जाता है तो वापस जाने पर यहां पर गुजारा हुआ एक आलौकिक अनुभव को अपने साथ संजोकर ले जाता हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि बाहर कैसा भी मौसम हो। अन्दर एक सामान्य तापक्रम रहता हैं।
मन में एक सवाल आपके जहन में होगा कि कैसे भगवान शिव का नाम यहां मौजगिरी बाबा हुआ, इसका एहसास भी आपको तभी होगा जब आप इस मंदिर में आकर अपने आप को सभी चिंताओं से मुक्त महसूस करेंगे। यहां सचमुच आनंद है मौज है मस्ती है धर्म है लेकिन धर्म का न कोई दबाव है ना कोई आतंक है। मौजगिरी बाबा की शरण में अगर कुछ है तो वह है पवित्र और निश्चल आनंद जिसने मौज गिरि बाबा को जीवंत कर रखा हैं।