कुंडली में जब गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में या मूलत्रिकोन राशि धनु, स्वराशि धनु-मीन में हो, कुंडली के केंद्र भाव 1, 4, 7, 10 में हो तो हंस योग बनता है।
यदि गुरु शुभ हो साथ ही यदि गुरु हंस योग बनाए और चंद्र से भी केंद्र में युति हो तो गज केसरी योग बनता है। ये योग व्यक्ति को बहुत भाग्यशाली बनाते हैं।
हंस को शास्त्रों में बहुत ही पवित्र पक्षी माना गया है। साथ ही ये ब्रह्मा और सरस्वतीजी का वाहन भी है। हंस को धर्म, विवेक और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ये सारे गुण हंस योग के व्यक्ति में होते हैं। हंस का एक गुण दूध और पानी अलग करने का भी है। यही गुण हंस योग वाले व्यक्ति में भी होते हैं।
हंस योग के व्यक्ति तेज दिमाग वाले होते हैं। इन्हें शास्त्रों का ज्ञान होता है। न्यायप्रिय होते हैं। व्यक्तित्व आकर्षक होता है। इनका रंग पीला लालिमा लिए होता है। शरीर कुछ भारी होता है। इन लोगों के पैर सुंदर दिखाई देते हैं। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति प्रशासनिक अधिकारी बनता है।