उज्जैन: कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाते हैं श्री सोमेश्वर महादेव, जानें इनकी महिमा

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सावन में इस मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान की पूजा-अर्चना के लिए उमड़ रही है. इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. एक मान्यता ये भी है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान की पूजा करता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

धार्मिक नगरी उज्जैन मे एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसमें भगवान का पूजन अर्चन करने और उन्हें चढ़ाया हुआ दही शरीर पर लगाने से सफेद दाग जैसा रोग समाप्त हो जाता है. यही नहीं, यदि इनका दर्शन भी कर लिया जाए तो कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है. ऐसा मंदिर के पुजारी दावा करते हैं. सावन में सोमेश्वर महादेव के इस मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.

श्री सोमेश्वर महादेव के पुजारी पंडित गोकुल दास बैरागी (सीताराम महाराज) ने बताया कि 84 महादेव में 26 वां स्थान रखने वाले श्री सोमेश्वर महादेव की महिमा निराली है, जो भक्तों को सदा अपना आशीष प्रदान करते हैं. उनका कहना है कि यहां अन्य मंदिरों की अपेक्षा विशालकाय शिवलिंग है, जो कि लगभग 15 इंच ऊंचा है. मंदिर का प्रवेश द्वार काले पाषाण का होने के साथ ही अतिप्राचीन है.

भगवान विष्णु की प्रतिमा चतुर्भुज और नटराज स्वरूप में

मंदिर मे भगवान विष्णु की नटराज स्वरूप में अत्यंत प्राचीन प्रतिमा है. वहीं इसी मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज रूप में भी एक प्रतिमा विराजमान है. इन प्रतिमाओं के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती व साथ में गणेश जी की सिंदूर की प्रतिमाएं भी हैं. मंदिर के बाहर नंदी विराजित हैं.

महादेव ने पार्वती को कथा सुनाई थी

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्री सोमेश्वर महादेव की पौराणिक कथा महादेव ने पार्वती को कथा सुनाई कि एक बार दक्ष और चंद्र (सोम) ने परस्पर एक-दूसरे को श्राप दे डाला. तब देवगण ब्रह्मा के पास और फिर ब्रह्मा को साथ लेकर जर्नादन के पास पहुंचे और उनसे श्राप से मुक्ति दिलाने का अनुरोध करने लगे. देवताओं ने चंद्रमा का उद्धार करने को कहा. फिर भगवान विष्णु ने सोम का स्मरण किया फिर, लेकिन सोम वहां नहीं आया.

इसके बाद क्रोधित होकर विष्णु ने कहा कि देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करें. तब सोम प्रादुर्भूत (सबके सामने आए) आया. विष्णु ने सोम को महाकालवन भेजकर कांतिकर लिंग की आराधना करने को कहा. सोम ने भी ऐसा ही किया. महादेव ने पार्वती से कहा कि सोम की आराधना के कारण यह लिंग सोमेश्वर कहा गया.

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