उज्जैन के इस गणेश मंदिर में भगवान राम ने की थी पूजा अर्चना

0
234
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।

WhatsApp no – 7699171717


Contact no – 9093366666

भगवान गणेश को चिंतामणि भी कहा जाता है। क्योंकि वे अपने भक्तों की सभी चिंताओं को हर लेते हैं। ऐसे में महाकाल की नगरी में गणेश भगवान का एक मंदिर है, जो उज्जैन के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर उज्जैन से करीब 6 किमी. की दूरी पर स्थित फतेहाबाद रेलवे लाइन के समीप है। यहां काफी दूर-दूर से भक्त बप्पा के दर्शन करने आते हैं।

गणेश के तीन स्वरूप एक साथ

देश का ये पहला मंदिर है, जहां भगवान गणेश के तीन रूप एक साथ देखने को मिलते हैं। यहां चितांमण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में गणेश जी भक्तों को दर्शन देते हैं। मंदिर में विद्यमान बप्पा की मूर्ति इतनी सुंदर है कि ऐसी मूर्ति शायद ही आपने कभी देखी होगी। यहां भगवान की मूर्ति स्वयंभू है।

भगवान राम ने की थी पूजा

मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहांं भगवान श्रीराम ने राजा दशरथ के पिण्डदान के समय पूजा अर्चना की थी। मंदिर में आपको एक छोटी बावड़ी दिख जाएगी, जिसको लेकर किवदंती है कि जब श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी वनवास गए थें, तब यही पर माता सीता प्यास लग गई थी और तब लक्ष्मण जी ने बाण मारकर यहां जल उत्पन्न की थी, ये वही बावड़ी है।

मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 250 साल पहले मंदिर का जीर्णोद्धार (वर्तमान स्वरूप) महारानी अहिल्याबाई ने कराया था। इससे पहले परमार शासनकाल में भी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जा चुका है। मंदिर के खंभे आज भी परमारकालीन होने के दावे करते हैं। यह मंदिर हजारों साल पुराना है और सतयुग का बताया जाता है।

उल्टा स्वास्तिक बनाकर मांगते हैं

मन्नत सैकड़ों-हजारों मील से भक्त यहां बप्पा के दरबार में पहुंचते हैं और मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो वापस भक्त दर्शन करने आते हैं और फिर मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाता है। यहां आपको रक्षासूत्र भी बंधा दिख जाएगा, जिसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, वो मंदिर आकर एक बंधा धागा छोड़ देता है। चैत्रमास में आयोजित ‘जत्रा’ सिद्धि विनायक के इस मंदिर बप्पा को धन्यवाद देने के ‘जत्रा’ नाम का एक पावन पर्व आयोजित किया जाता है। इसकी शुरुआत चैत्र मास के बुधवार से होती है और प्रत्येक बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन गणपति का और मंदिर परिसर विशेष श्रृंगार व सजावट की किया जाता है।

चैत्र महीने के आखिरी बुधवार को इस पर्व का समापन हो जाता है। चार धाम यात्रा : उत्तरकाशी पुलिस ने जारी की ट्रैफिक एडवाइजरी, केदारनाथ धाम में हड़ताल मंदिर में आयोजित ‘तिल महोत्सव’ पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश की माघ मास में तिल चतुर्थी पर तिल्ली का भोग लगाने का खास महत्व है। इस दिन महिलाएं बप्पा के लिए व्रत रखती हैं और बप्पा को तिल का भोग लगाती हैं। अब मंदिर में इस दिन भव्य आयोजनों के साथ सवा लाख लड्डूओं का महाभोग भी लगाया जाने लगा है।

मंदिर का समय – सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक आरती का समय – सुबह 7:00 चोला आरती, शाम 7:30 बजे भोग आरती व रात 9:30 शयन आरती कैसे पहुंचें चिंतामन गणेश मंदिर नजदीकी हवाई अड्डा – इंदौर (60 किमी.) नजदीकी रेलवे स्टेशन – उज्जैन (8 किमी.) नजदीकी बस स्टेशन – उज्जैन (8 किमी.)

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here