उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित है बेहद खास प्रतिमा, जानें क्यों?

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भारत में बने हर एक मंदिर की अपनी खासियत और मान्यता है। फिर चाहे किसी देवी का प्रसिद्ध मंदिर हो या कोई सर्प मंदिर। आज हम आपको उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें बताने वाले हैं।

आपने उज्जैन के महाकाल मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा। इसी मंदिर की तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर बना है। यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ 24 घंटे यानी एक दिन के लिए ही खुलता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है।

जानिए नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में

पौराणिक कथाओं के मुताबिक नागचंद्रेश्वर मंदिर में राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। बदले में भगवान शिव ने भी उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था।

भगवान शिव के वरदान देने के बाद राजा तक्षक ने भोलेनाथ के साथ रहना शुरू कर दिया। किंतु महाकाल चाहते थे कि उनकी शांति भंग ना हो। यही कारण है कि इसके बाद से भगवान शिव नागपंचमी के दिन इस मंदिर में दर्शन देते हैं। नागपंचमी के अलावा पूरे साल उनके मंदिर के कपाट बंद रहते हैं।

ढेर सारे श्रद्धालु करते हैं दर्शन

नागपंचमी के दिन इस मंदिर में ढेर सारे श्रद्धालु पूजा-पाठ के लिए उमड़ते हैं। मान्यता है कि सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी के दिन इस मंदिर में पूजा जरूर करनी चाहिए। इस मंदिर में विराजित प्रतिमा बहुत खास है।

नागराज पर विराजे शिवशंभु को देखने के लिए श्रद्धालु लंबी-लंबी कतारों में लगते हैं। इस मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में भगवान शिव, गणेश जी और पार्वती के साथ दशमुखी सर्प में विराजित हैं। नागपंचमी के दिन इस मंदिर में लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है।

बेहद खास है यह मूर्ति

इस प्रतिमा में सांप के नीचे शिव और पार्वती समेत उनका पूरा परिवार एक साथ बैठा हुआ है। कहा जाता है कि इस बेहद खास प्रतिमा को नेपाल से लाया गया है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट में ऐसा भी बताया गया है कि इस तरह की प्रतिमा सिर्फ एक ही है।

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