शनि धीमी गति से चलनेवाला ग्रह है। यह एक राशि में ढाई सालों तक रहता है। इसलिए शुभ या अशुभ प्रभाव ढाई सालों तक बना रहता है। इसकी वजह से जीवन में लंबा संघर्ष करना पड़ता है।
शनि ग्रह को वैदिक ज्योतिष में न्यायदाता ग्रह माना जाता है। शनिदेव कर्म फल प्रदान करते हैं। शनि, व्यक्ति को जीवन में अनुशासित रहना सिखाते हैं और न्यायप्रिय बनाते हैं। शनि के प्रभाव को इसलिए भी खराब माना जाता है क्योंकि परेशानियां काफी लंबे समय तक रहती हैं। दरअसल, शनि धीमी गति से चलनेवाला ग्रह है। यह एक राशि में ढाई सालों तक रहता है। इसलिए शुभ या अशुभ प्रभाव ढाई सालों तक बना रहता है। जीवन में लंबे संघर्ष के कारण इसके प्रभाव से सभी डरते हैं। अगर कुंडली में शनि की स्थिति नहीं पता हो, तो जीवन की घटनाओं को देखकर भी शनि के अशुभ होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। आइये आपको बताएं कि शनि के पीड़ित, कमजोर या अशुभ होने के क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
शनि के अशुभ परिणाम
कुंडली में शनि के कमजोर या खराब होने से आजीविका के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है। अगर आपको नौकरी नहीं मिल रही हो, या बार-बार नौकरी बदलनी पड़ रही हो तो इसका मतलब शनि की दसवें भाव पर दृष्टि है, या शनि पीड़ित और कमजोर है।
कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ हो तो व्यक्ति बीमार रहने लगता है। अगर कोई बीमारी लंबे समय से हो और जल्द ठीक ना हो रही हो, तो ये शनि का अशुभ प्रभाव हो सकता है। शनि के अशुभ प्रभाव से आंखें कमजोर होती हैं और बाल झड़ने लगते हैं। पेट की समस्याएं भी घेरे रह सकती हैं।अशुभ शनि हो, व्यक्ति का स्वभाव बदलने लगता है। वो झूठ बोलने लगता है और धर्म-कर्म पर विश्वास नहीं करता। सिगरेट,शराब, गांजा, जुआ, सट्टा आदि की लत लग सकती है और सच्चे या झूठे मामले में भी जेल जाने की नौबत आ सकती है।
शनि की स्थिति अशुभ हो तो जीवन में संघर्ष और तनाव बढ़ता जाता है। बहुत मेहनत करने पर भी बहुत थोड़ा फल मिलता है। मान-सम्मान में कमी आती है और नौकरों से झगड़ा होने लगता है।
शनि के अशुभ होने से घर में लड़ाई-झगड़े के कारण परिवार में फूट पड़ जाती है। हमेशा कलह का माहौल रहता है। जातक हमेशा कर्ज में डूबा रहता है या आस-पड़ोस से झगड़े होते हैं।शनि कमजोर हो तो जातक को धन की हानि होती है और जीवन शक्ति कम होने लगती है। किसी दुर्घटना में अपंगता या गंभीर रोग जैसे कैंसर आदि का सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव से मकान का क्षतिग्रस्त होना, मकान का गिरना या मकान बिकने जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसकी वजह से घर या दुकान में अचानक आग लग सकती है।
क्या करें उपाय?
शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए सबसे जरूरी है, गलत काम-धंधों से दूर रहें। शनि न्याय के देवता हैं और आपके गलत कर्मों की फौरन सजा देते हैं। इसलिए सात्विक जीवन अपनाएं और ईमानदारी से जीवन-निर्वाह करें। इसके अलावा शनि को शांत करने के लिए कुछ उपाय जीवन भर करना चाहिए।
हर शनिवार को शनिदेव की पूजा करें और रोजाना शनि मंत्रों का जाप करें। शनि बीज मंत्र या शनि गायत्री मंत्र का जाप लाभकारी हो सकता है।
शनिवार के दिन गरीबों, बुजुर्गों, वंचितों को भोजन, कपड़े, कंबल आदि का दान करें। ऐसा करने से शनि का आशीर्वाद मिलता है और उनके नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं।
शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाना, पीपल की जड़ में दीप जलाना और काले वस्त्रों का दान भी उन्हें शांत करने के अच्छे उपाय माने जाते हैं।
शनिदेव को प्रसन्न करना हो, तो नौकरों-चाकरों से अच्छा बर्ताव करें और किसी लंगड़े या विकलांग को कभी भी परेशान ना करें। संभव हो तो उनकी मदद करें।