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यहां सिंदूर नहीं, चढ़ता है हिंगलू
गेबी हनुमान की मूर्ती बेहद चमत्कारिक मानी जाती है. बजरंगबली को रोजाना हिंगलू यानी लाल रंग और चमेली के तेल से श्रृंगार किया जाता है. यहां गुड़-चना चढ़ाने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं. मंदिर से अभिमंत्रित किया हुआ काला धागा पहनने से बुरी नजर नहीं लगती. खासकर बच्चों को लेकर माता-पिता भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं. यह देश में पहला स्थान है, जहां हनुमानजी का श्रृंगार हिंगलू और चमेली के तेल से होता है.
मंदिर के पुजारी ने बताया की श्री गेबी हनुमान की उत्पत्ति की अलग कहानी है. कई साल पहले यहां के स्थानीय निवासी को गेबी हनुमान ने सपने में दर्शन दिया था और कहा था- मुझे इस बावडी से बाहर निकालो. इसके बाद बावड़ी से उनकी प्रतिमा को बाहर निकाल गया. फिर इस मंदिर में विराजित कर दिया गया. हनुमान जी को जब बाहर निकाला गया था तब उनका स्वरूप लाल था. उस वक्त उनका नाम गेबी हनुमान पड़ा. गेबी हनुमान के पैरों के नीचे अहिरावण की कुल देवी की प्रतिमा है.
मान्यता है कि गेबी हनुमान के दर्शन करने से किसी को भी नजर नहीं लगती है, जो भी कोई भक्त शनिवार और मंगल का व्रत कर हनुमान जी से मनोकामना करता है वो पूर्ण होती है. अभी तक यहां से ऐसा कोई भक्त नहीं, जो खाली गया हो या मनोकामना पूर्ण नहीं हुई