ग्रह बाधा से मुक्ति दिलाते हैं ढूंढेश्वर महादेव, इनके दर्शन से मिलता कार्तिक स्नान का पुण्य

0
123
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

यहां स्थित है मंदिर

शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर दत्त अखाड़ा के ठीक सामने श्री ढूण्ढेश्वर महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर है, जो कि 84 महादेव में तीसरे स्थान पर आते हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार उत्तरमुखी है जिसके ऊपर गणेशजी की प्रतिमा है। मंदिर के गर्भगृह में एक फीट ऊंचा शिवलिंग है जो नागवेष्टित है। यहां भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं। शिवलिंग पीतल की जलाधारी में स्थापित है। शिवलिंग के सामने नंदी विराजित हैं।

उज्जैन: वैसे तो धार्मिक नगरी उज्जैन में अत्यंत चमत्कारी मंदिर हैं, लेकिन शिप्रा किनारे रामघाट पर दत्त अखाड़ा के ठीक सामने श्री ढुण्ढेश्वर महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर हैं जो की 84 महादेव में तीसरे स्थान पर आता है. मंदिर का प्रवेश द्वार उत्तरमुखी है. जिसके ऊपर गणेशजी जी की प्रतिमा हैं. मंदिर के गर्भगृह में 1 फीट ऊंचा शिवलिंग है. जो नागवेष्टित है. यहां भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं, लेकिन कार्तिकेय की प्रतिमा कहीं दिखाई नहीं देती है. शिवलिंग पीतल की जलाधारी में स्थापित है. शिवलिंग के सामने नंदी विराजित हैं.

वैसे तो श्री ढूंढेश्वर महादेव की महिमा अत्यंत निराली है, लेकिन विशेष रूप से ढूंढेश्वर महादेव के पूजन अर्चन और दर्शन करने से समस्त पापों से मुक्ति के साथ ही खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त हो जाती है. पंडित अजय व्यास ने बताया कि मंदिर की यह भी मान्यता है कि यदि किसी खोए हुए सामान की प्राप्ति की कामना को लेकर भगवान का पूजन अर्चन किया जाता है तो वह सामान प्राप्त हो जाता है.

ढूंढेश्वर महादेव के दर्शन नहीं किए तो नहीं मिलेगा कार्तिक स्नान का लाभ

मंदिर के पुजारी पंडित अजय व्यास ने बताया कि चोरियासी महादेव में 3 महादेव ऐसे हैं जिनके दर्शन व पूजन से ग्रह नक्षत्रों की बाधा समाप्त होती है. अगस्तेश्वर महादेव, ढूंढेश्वर महादेव, गुहेश्वर महादेव को नक्षत्र अनुसार महादेव माना जाता है. उन्होंने बताया कि कृतिका नक्षत्र से कार्तिक मास की उत्पत्ति हुई है इसीलिए कार्तिक मास में ढूंढेश्वर महादेव का पूजन अर्चन और दर्शन करने का विशेष महत्व है यदि कोई श्रद्धालु पूरे कार्तिक मास शिप्रा मे स्नान करता है और ढूंढेश्वर महादेव के दर्शन नहीं करता तो उसे कार्तिक स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं होता है.

ढूंढेश्वर महादेव के दर्शन करने मात्र से ही कार्तिक मास स्नान का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है. कार्तिक मास की पूर्णिमा पर मंदिर मे दीपदान का भी विशेष महत्व है, इसीलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन मंदिर में दीपदान करने पहुंचते हैं.

जानिए क्या है इस अद्भुत शिवलिंग का रहस्य

स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव का कैलाश स्थित एक गणनायक ढुण्ढ एक बार जब काम भावना के वशीभूत होकर चुपके से इन्द्र लोक जाकर रंभा नाम की अप्सरा का नृत्य देखते-देखते छेड़छाड़ करने लगा. ढुण्ढ की हरकत से कुपित होकर इन्द्र ने उसे पतन होने का शाप दे दिया. जिससे मुक्त होने के लिए उसने \कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों पर साधना उपासना की, लेकिन इस बीच हुई आकाशवाणी से उसे निर्देश मिला कि महाकाल वन में शिप्रा किनारे रामघाट के पास स्थित सर्वाथ साधक शिवलिंग की उपासना करो तो ही देवराज इंद्र के शाप से मुक्त हो सकोगे.

ढुण्ढ ने मन, क्रम और वचन तथा श्रद्धा भक्ति के साथ महाकाल वन स्थित उस सर्वाथ साधक लिंग की उपासना की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसके पाप नष्ट करते हुए उसे वर मांगने को कहा, तब कृतकृत्य होकर भक्त ढुण्ढ ने निवेदन किया कि हे प्रभु! मेरे नाम से आपके नाम की प्रसिद्धि हो, आप इस स्थान पर सदा निवास करें. तभी से यह लिंग ढुण्ढेश्वर नाम से प्रसिद्ध हो गया. जिसके दर्शन मात्र से भक्तगण सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं.

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।

WhatsApp no – 7699171717
Contact no – 9093366666

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here