84 महादेव सीरीज के बारहवें महादेव श्री की कथा
दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के बारहवें महादेव श्री की कथा बताएँगे की कैसे भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री लोकपालेश्वर महादेव पड़ा।
जैसे की आप जानते हैं 22 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया हैं। कहा जाता हैं सावन के माह में भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ धरती पर आते हैं। सावन माह में सच्चे दिल पूजा अर्चना की जाये तो महादेव का विशेष आशीष प्राप्त होता हैं। यदि सावन के महीने में 84 महादेव के दर्शन किये जाये तो आपके जीवन में आई सभी समस्याएँ दूर हो जाएगी , परन्तु दर्शन करने का समय ना हो तो आप 84 महादेव की कथा का वाचन या कहे पढ़ लेने से ही आपको महादेव की कृपा मिल जायगी।
श्री लोकपालेश्वर महादेव
द्वादशं विद्धि देवेशि, लोकपलेश्वरम् शिवं।
यस्य दर्शन मात्रेण, सर्वपापैः प्रमुच्यते।।
कहाँ है 84 महादेव का श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर
84 महादेव में से एक लोकपालेश्वर महादेव का यह शिवलिंग उज्जैन स्थित हरसिद्धी पाल की घाटी उतर जाने के बाद दायें ओर कहारवाड़ी मार्ग पर सबसे पहले बायें मोड़ के ठीक सामने हैं दिखाई देगा। वस्तुत: यहाँ आपको 84 महादेव में से दो महादेवों के मंदिर पास-पास दिखाई देंगे। यहाँ आपको श्री प्रयागेश्वर (71) मंदिर के दर्शन पहले और दूसरे श्री लोकपालेश्वर महादेव के दर्शन होंगे है।
श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर की दुरी की बात करें तो हम इंदौर से बता रहे हैं कियुकी इंदौर से कनेक्टिविटी सही हैं इंदौर एक ऐसा शहर है जहा से आपको बस, ट्रैन , प्लेन सभी की कनेक्टिविटी मिलती हैं। इंदौर से श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर की दुरी 55 km हैं।
श्री लोकपालेश्वर महादेव का वर्णन
उज्जैन स्थित श्री लोकपालेश्वर महादेव भक्तों को दर्शनमात्र से सभी पापों से मुक्त कर दे, पीतल के एक चौकोर जलधारी में स्थित यह शिवलिंग आकार में लगभग 5 इंच ऊंचा है। भूरे पत्थर से बना यह शिवलिंग पीतल के नागदेव जो जलधारी में उकेरे हुए से लपेटे हुए है। जलाधारी की निकासी के पास ही दोनों कोनों पर चक्र तथा अद्र्धगोलाकृति पर शंखउत्कीर्ण हैं।
मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर बाई ओर ताक में संगमरमर से बनी एक बहुत ही सुंदर प्रतिमा है, जबकि भक्त सामने देवी पार्वती की मूर्ति के दर्शन कर पायेंगे। मंदिर का फर्श भी संगमरमर का है। इस स्थान पर शिवलिंग पर न तो नागदेव की छायां हैं और न ही त्रिशूल और डमरू हैं। बाहर शिवजी के वहां नंदी बैठे हुए है।
श्री लोकपालेश्वर महादेव कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप के द्वारा बहुत ही शक्तिशाली और भयानक अनेक दैत्य और राक्षस पैदा हुए। उन दैत्यों और राक्षसों ने पृथ्वी पर स्थित वनो और पर्वतों पर ऋषियों और संतो के आश्रमों को नष्ट करना आरम्भ कर दिया जिससे यज्ञों में आहुति, मंत्रों की ध्वनि बंद हो गयी जिससे देवताओं को शक्ति मिलती है और इन सब कार्यो के बंद होने पर देवता भी शक्तिहीन होने लगे।
दूसरी और वे दुष्ट स्वर्ग तक पहुंचकर इंद्रादी देव को परास्त कर स्वर्ग पर आधिपत्य करना भी प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने स्वर्ग में इंद्रदेव, दक्षिण दिशा में धर्मराज, पश्चिम में वरुण देव और उत्तर में कुबेर को को भी परास्त कर दिया।
अपनी हार और राज्यों को जाता देख सभी देव, गंधर्व और यक्ष अपने दीनानाथ दीनबंधु भगवान श्री हरि विष्णु की शरण में पहुंचे। सभी ने हाथ जोड़ कर भगवान की स्तुति की और प्रार्थना करने लगे की हे – दीनदयाल प्रभु, हमारी रक्षा आप ही कर सकते हैं। आपने अनेकों बार हम देवों की रक्षा की है आपने कई बार इनसे भी भयानक दैत्य नमुचि, वृषभरवन, हिरण्यकश्यपु, नरकासुर, मुरनामा आधी भयंकर दैत्यों का वध किया। अब हम आपके शरण और चरण में इसलिए आपको ही हम देवों की रक्षा करनी होगी।
देवताओं को व्याकुल होता देख श्री हरि बोले की हे – देवों आप सभी सृष्टि के के लिए अपने अपने कर्मो से बंधे हैं आप पर समस्त लोकों के संचालन भार हैं इसलिए आप सभी लोकपाल भी हैं। अतः आपकी रक्षा करना मेरा भी परम धर्म हैं कित्नु आप देवों को देवों के देव और लोकपालों के पालक के पास जाना होगा आपकी रक्षा वही कर सकते हैं।
श्री हरि की वाणी सुन देवता कैलाश जाने की अनुमति मांगने लगे। लेकिन श्री हरि के देवताओं को एक दिव्य शिवलिंग के दर्शन और पूजन करने का उपाय बताया और कहा की आप सभी महाकाल वन की ओर प्रस्थान करे। देवताओं ने ख़ुशी से उनका धन्यवाद किया और जाने लगे।
महाकाल वन जाते ही राक्षसों और दैत्यों ने उन्हें फिर से जाने से रोक दिया और युद्ध के लिए ललकारा कित्नु दैत्य फिर देवताओ पर हावी हो गए। देवता फिर भाग कर श्री हरि के पास पहुंचे। श्री हरि ने उन्हें बताया की आप सभी शिव दर्शन के लिये कपाली वेश में जाए।
देवताओं ने भस्म लगा कर, घंटा, कपाल और नूपुर आदि को धारण कर कपालिक रूप में शिव वंदना और स्तुति करते हुए फिर महाकाल वन पहुंच गए उन्हें महाकाल वन पहुंचते ही दिव्य शिवलिंग ने दर्शन दिए। शिवलिंग के दर्शन होते ही देवताओं ने फिर से शिव वंदना और स्तुति कर पूजन किया और भगवान शिव से अपने दुख हरने की प्रार्थना करने लगे।
देवता (लोकपालों) की प्रार्थना पूर्ण होते ही उस दिव्य शिवलिंग मे से भयानक ज्वालायें निकलने लगी। उस भयंकर ज्वाला से दैत्य और राक्षस एक एक कर जलने लगे। अपने दुखों के हरने बाद देवताओं ने धन्यवाद दिया और लोकपालों की रक्षा करने के कारण शिवलिंग को लोकपालेश्वर नाम दिया।
श्री लोकपालेश्वर महादेव की पूजा का महत्व
उज्जैन स्थित लोकपालेश्वर महादेव मंदिर की महत्व बताते हुए यहाँ के पुजारी बताते है की यहाँ पूजन और अभिषेक करने वाले भक्त हर जन्म में समृद्ध रहते हैं। उन्हें किसी भी जन्म में अकालमृत्यु का भय और अभाव नहीं रहता है। वे स्वर्ग भोगते हैं। यहाँ वैसे तो वर्षभर लोग दर्शन करते है किंतु यहाँ चतुर्थी, अष्टमी, संक्रांति, सोमवार के साथ ही सावन का में पूजन और अभिषेक का महत्व माना गया हैं।
उज्जैन 84 महादेव के दर्शन व पूजन का महत्त्व बता रहे हैं जिसके बारे में जानना जरुरी हैं। हमारी कोशिश रहती हैं की हमारे रीडर्स को सम्पूर्ण जानकारी दे।
हम महादेव से प्रार्थना करते हैं की आपके और आपके परिवार के ऊपर अपनी कृपा बनाये रखे। और आप भी इस सावन माह में आपके पास वाले शिव मंदिर जरूर जाये और महादेव की पूजा अर्चना सच्चे मन से करें।
लोकपालेश्वर महादेव से जुड़ें सवाल
श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश के महाकाल की नगरी उज्जैन शहर में स्थित है। उज्जैन स्थित हरसिद्धी पाल की घाटी उतर जाने के बाद दायें ओर कहारवाड़ी मार्ग पर सबसे पहले बायें मोड़ के ठीक सामने हैं
श्री लोकपालेश्वर महादेव का क्या महत्व है?
श्री लोकपालेश्वर महादेव उज्जैन 84 महादेव में 12 वे महादेव है, मान्यता है कि यहां दर्शन करने से अकाल मृत्यु भय से मुक्ति तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
क्या मंदिर में जाने का कोई विशेष समय है?
आप किसी भी समय मंदिर जा कर दर्शन कर सकते हैं। हालांकि, विशेष महत्व के दिन संक्रांति, सोमवार, सावन माह, अष्टमी और चतुर्दशी को माना जाता हैं। महादेव तो भोलेभंडारी हैं वे भक्तो को आसानी से अपना आशीर्वाद दे देते हैं।
क्या मंदिर में पूजा-अनुष्ठान होते हैं?
श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है। आप मंदिर के पुजारियों से बात कर विशेष अभिषेक व पूजा कर सकते हैं।
क्या श्री लोकपालेश्वर महादेव मंदिर के पास रुकने की कोई व्यवस्था है?
जी हां, उज्जैन में कई धर्मशालाएं और होटल हैं जहां आप ठहर सकते हैं। उज्जैन में भोजन की भी व्यवस्था बहुत अच्छी होती हैं।
क्या मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है?
जी हां, आप उज्जैन रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से e-रिक्शा, टैक्सी, रिक्शा या उज्जैन में बाइक भी रेंट से मिलती हैं जिसे लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
क्या सावन में लोकपालेश्वर महादेव के दर्शन का विशेष महत्त्व होता हैं ?
लोकपालेश्वर महादेव के सावन के पवित्र महीने में दर्शन करने का विशेष महत्त्व होता हैं सावन में दर्शन करने पर भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। और आपको सांसारिक मोह से मुक्ति दे देते हैं। जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करते हैं।
क्या दर्शन के लिए कोई शुल्क लगता है?
जी नहीं, मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। यहाँ आपको वीआईपी दर्शन की सुविधा नहीं मिलेगी। हालांकि, कुछ विशेष पूजा या अभिषेक के लिए दान राशि स्वीकार की जातीं हैं।
क्या मंदिर विकलांग लोगों के लिए सुलभ है?
दुर्भाग्य से, सभी मंदिरों में विकलांग लोगों के लिए समान रूप से सुलभता नहीं होती है। यह सलाह दी जाती है कि मंदिर प्रशासन से संपर्क कर मंदिर की सुलभता के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
क्या लोकपालेश्वर महादेव मंदिर में वाहन पार्किंग की सुविधा है?
लोकपालेश्वर महादेव मंदिर के पास सीमित निःशुल्क पार्किंग उपलब्ध हो सकती है। हालांकि, मंदिर के आसपास के क्षेत्र में भीड़भाड़ रहती है, इसलिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
लोकपालेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचने में कितना शुल्क लगता हैं ?
लोकपालेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचने में यदि E-रिक्शा लेते हैं तो 50 से 60 रुपया में आप पहुंच जायगे यदि कोई और भी माध्यम लेते हैं ज्यादा से ज्यादा 150 रूपए लगेंगे।
लोकपालेश्वर महादेव मंदिर में मोबाइल ले जाने की अनुमति हैं ?
लोकपालेश्वर महादेव मंदिर में गर्भगृह के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होती है। परन्तु मंदिर परिसर में मोबाइल फोन ले जाने पर अनुमति होती है। किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने पर मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें।
दोस्तों, इस उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से लोकपालेश्वर महादेव की जानकारी जरुर मिली होगी। अगले आर्टिकल में हम 84 महादेव में से एक श्री मनकामनेश्वर की कथा का वर्णन करेंगे है। कृपया आप उसे भी जरूर रीड करे।
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