जानें माँ बगलामुखी मंत्र जाप, विधि एवं सावधानिया!
पौराणिक मान्यताआें अनुसार, सतयुग काल में आये भीषण तूफान को शांत करने के लिए श्री हरि विष्णु जी ने सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे घोर तप किया। जिसके परिणाम स्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। जिन्होंने इस भीषण तूफान को शांत कर दिया था। तभी से माँ बगलामुखी को प्रसन्न कर भक्तगण अपने जीवन में चल रहें बड़े से बड़े तूफान को असानी से शांत कर लेते हैं।
बता दें कि हरिद्रा नामक सरोवर में माँ बगलामुखी का अवतरण हुआ था। इस लिए उन्हें हरिद्रा अर्थात् हल्दी विशेष प्रिय हैं। हल्दी का रंग पिला भी उन्हें विशेष रूप से पसंद है। इसलिए भक्तगण उनकें पूजन में पीले रंग के वस्तु और हल्दी की सामग्री का उपयोग करते हैं। उनके मंत्रों का जाप भी हल्दी की माला के द्वारा पूर्ण करते हैं।
साधनाकाल में रखें सावधानियां-
१.ब्रह्मचर्य का पालन,
२.एक समय का फलाहार,
३.बाल या दाड़ी-मूंझ नही कटवाना,
४.पीले वस्त्र को धारण करना,
५.हल्दी या पीले रंग में दीपक की बाती को लपेट कर सुखा लें,
६.रात्रि के १० से प्रात: ४ बजे के बीच के अन्तराल मंत्रों का जाप करें,
७.साधना में एक विशेष बात का ध्यान दें किे साधना के समय अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरूष के साथ ही करनी चाहिए।
८.साधना में ३६ अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ माना जाता हैं।
जानें कैसे करें मंत्र सिद्ध-
१.चने की दाल से माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र साधना में जरूर से बनायें, अगर सामथ्र्य हो तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
२.माँ बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना इस आलेख में देना संभव नहीं है। फिर भी अपने प्रयास के द्वारा आवश्यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया जा रहा है ताकि जब साधक मंत्र संपन्न करें तब उसे सुविधा रहे,
मंत्र
विनियोग-
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
आवाहन-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
ध्यान-
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्त्रग्युताम्
हस्तैर्मुदगर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत् ।
मंत्र
ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।
इन ३६ अक्षरों वाले मंत्र को १ लाख जाप करने के बाद सिद्ध किया जा सकता हैं। और अगर ५ लाख बार जप करें तो अधिक सिद्ध किया जा सकता हैं। जाप की संपूर्णता के पश्चात् दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।