आज के भाग-दौड़ वाली जिन्दगी में हम कई बातों को अनदेखा कर देते हैं या फिर उन बातों का ज्ञान ही नहीं होता हैं। वास्तु दोष के कारण हम अक्सर जानें-अनजानें में कई तरह की दिक्कतों का सामना करते रहते हैं। वास्तु दोष का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव आर्थिक तंगी होती हैं। जिसके चलते हमें कई तरह की परेशानियां होती हैं। हम हमेशा अपने धन को संचय करने की कोशिश करते हैं। परन्तु लगातार पैसों का नुकसान होता ही रहता है। ऐसे में इसका कारण समझ पाना बहुत मुश्किल हो जाता हैं। आज हम आपकों कुल ५ ऐसे वास्तु दोष के कारण बतायेगें जो की हो रही हमारे आर्थिक तंगी का कारण हो सकते हैं।
१.धन संचय का स्थान- वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर हम अपना धन संचय का स्थान गलत दिशा में रखते हैं तो लगातार धन की हानि होती हैं। इसलिए हमें हमेशा पहले यह सुनश्चित कर लेना चाहिए कि धन संचय की सही दिशा कौन सी हैं। धन रखने का उत्तम स्थान जैसे की आलमारी या तिजोरी दक्षिण दिशा में हो और उसका खुलने की दिशा उत्तर दिशा में हो। ऐसा शुभ माना जाता हैं।
२.नल से टपकता पानी की बूंद- अगर आपके घर में लगा नल से पानी टपकता है तो उसे तुरंत दुरूस्त करा लें। अन्यथा धीरे-धीरे टपक रहें पानी आपकी आर्थिक स्थिति को धीरे-धीरे कमजोर करती जायेगी। इसे अनदेखा करना आपकी आर्थिक तंगी को बुलावा देना होगा।
३.जल की निकासी का सही दिशा में न होना- जल की निकासी कई चीजों को प्रभावित करती है। जिनके घर में जल की निकासी दक्षिण या पश्चिम दिशा में होती है उन्हें आर्थिक तंगी के साथ अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उत्तर दिशा एवं पूर्ण दिशा में जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
४.न जमा करें कबाड़- वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर आप अपने घर के किसी भी कोने में फालतू चिजों का अम्बार लगा रखें है या फिर सीढ़ियों के निचे या छत के ऊपर रखें है तो उसे तुरन्त वहां से हटा कर अपने घर से दूर कर दें। अन्यथा हमेशा आप आर्थिक तंगी की परेशानियों से घिरे रहेंगे।
५.शयन-कक्ष में होना चाहिए धातु की वस्तु- वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर हम अपने शयन कक्ष के द्वार के सामने वाली दीवार के बाएं कोने पर धातु की कोई चीज लटका दें तो इससे हमारे आर्थिक स्थिति और मजबूत होती हैं। क्योंकि यह स्थान भाग्य और संपत्ति का क्षेत्र होता हैं। इसके साथ एक बात का विशेष ध्यान दें कि इस दिशा में कोई दरार न हो। अगर दरार है तो उसे तुरन्त भर दें।