क्या होता है मारकेश योग?
आपको बता दें कि ज्योतिष में मारक ग्रह का अर्थ उन ग्रहों से होता है, जो किसी जातक की कुंडली में अशुभ फल प्रदान करते है। जब यह योग किसी जातक की कुंडली मे बनता है, तो जातक को कई परेशानियों का सामना करना होता है। साथ ही वह अपने जीवन के हर क्षेत्र में असफलता प्राप्त करने लगता है। इस योग के कारण जातक को स्वास्थ्य, पैसो, पारिवारिक जीवन आदि में कई समस्यों का सामना करना पड़ता है।
जानें कुंडली में कब बनता है मारकेश योग?
– कुंडली में दूसरे, छठे, सातवें, आठवें और बाहरवें भाव का विश्लेषण किया जाता है. व्यक्ति का आठवां भाव व्यक्ति के आयु के बारे में बताता है. वहीं, छठा भाव रोगों से संबंधित होता है. कुंडली में दूसरे और सातवें भाव को मृत्यु का भाव माना जाता है. वहीं बाहरवां भाव व्यय से संबंधित होता है.
– ज्योतिषीयों का कहना है कि व्यक्ति की कुंडली में मारकेश योग कई दशाओं पर बनता है. बता दें कि कुंडली में ये अशुभ योग तुला लग्न में शुक्र और गुरु के पीड़ित होने पर बनता है.
– बता दें कि कुडंली में मारकेश योग राहु-केतु के छठे, आठवें या पिर बाहरवें भाव में होने पर बनता है.
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में धनु लग्न में शुक्र निर्बल और क्रूर ग्रहों के साथ राहु के वारिजमान होने पर मारकेश योग बनता है.
कुंडली में मारकेश योग होने पर प्रभाव
– कहते हैं कि अगर किसी जातक की कुंडली में मारकेश योग बनता है, तो उसे संभलकर रहने की जरूरत होती है. ऐसे में व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
– इस दौरान जातक किसी न किसी रोग से ग्रसित रहता है. और अधिक धन खर्च होता है.
– व्यक्ति को कुंडली में मारकेश योग होने पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस दौरान नौकरी में हानि, गंभीर बीमारी, समान में मान-सम्मान की कमी या फिर मित्र सगे-संबंधियों से धोखा मिल सकता है.
– मारकेश योग बनने पर व्यक्ति को मृत्यु के सामान कष्टों का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति किसी न किसी तरह की समस्या से घिरा रहता है.
– मारकेश योग में किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर बार-बार चोट लगने की संभावना अधिक होता है.
मारकेश दशा के उपाय
– मारकेश दशा के प्रभावों को कम करने के लिए भगवान शिव की पूजा लाभदायी रहेगी.
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