ज्योतिष में शुक्र ग्रह की भूमिका और इनका सामान्य परिचय

0
170
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

कुंडली में शुक्र की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। तुला राशि इनकी मूल त्रिकोण राशि होती है जहां ये वृषभ राशि से अच्छे परिणाम देने में समर्थ होते हैं।

वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण सूत्र है और वो है फलित विचार, दरअसल भविष्य में होने वाली किसी भी घटना के बारे में विचार करने को फलित विचार कहते हैं। फलित सूत्र में नॉर्मली 9 ग्रह, 12 भाव और 27 नक्षत्रों से विचार किया जाता है। फलित में 9 ग्रह है, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध,गुरु, शुक्र,शनि  ये 7 मूल ग्रह माने गए हैं वहीं 2 ग्रह राहु केतु छाया ग्रह माने गए हैं। राहु केतु सदैव एक दूसरे से सप्तम होते हैं और विपरीत यानी वक्री गति से ही चलते हैं तो आइये जानते हैं शुक्र ग्रह के बारे में और साथ ही यह भी जानेंगे कि ज्योतिष में उसकी क्या उपयोगिता है। 

वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो कि सप्तम भाव यानी कि पत्नी के भाव के कारक होते हैं। इसी भाव से मनुष्य की काम इच्छा का विचार किया जाता है इसलिए कुंडली में शुक्र की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। शुक्र देव वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। तुला राशि इनकी मूल त्रिकोण राशि होती है जहां ये वृषभ राशि से अच्छे परिणाम देने में समर्थ होते हैं। शुक्र ग्रह भौतिक सुख सुविधा को दर्शाता है इसलिए जिन जातकों की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वो जातक जीवन में अच्छी सुख सुविधा का लाभ उठाते हैं। 

शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च हो होते हैं वहीं कन्या राशि में नीच के हो जाते हैं। दरअसल मीन राशि द्वादश भाव की राशि होकर शैया सुख और आत्मबोध को दर्शाती है इसलिए शुक्र वहां उच्च होकर शानदार परिणाम देते हैं, वहीं कन्या राशि छठे भाव यानी कि प्रतिस्पर्धा के भाव की राशि है इसलिए शुक्र वहां नीच के होकर अपने परिणाम प्रकट नहीं करते हैं। शुक्र को तो भोग विलास और विहार पसंद है। ऐसे में छठे भाव से शुक्र का क्या लेना देना ? इसलिए छठे भाव का शुक्र व्यर्थ होता है। पंचम, चौथे, नवम और द्वादश भाव में शुक्र के बड़े शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। जातक को कला, संगीत और साहित्य की गहरी समझ होती है। दशम भाव में अगर शुक्र बलवान बुध मंगल के साथ हो तो जातक बड़ा संगीतकार या गायक होता है। ऑस्कर विजेता ए आर रहमान की कुंडली के दशम भाव में उच्च का मंगल शुक्र देव के साथ विराजमान है। 

शुक्र के नक्षत्र की बात करें तो भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा पर शुक्र का अधिकार है यानि कि जो जातक इन नक्षत्रों में जन्म लेते हैं उन्हें शुक्र की दशा प्राप्त होती है और उनके ऊपर शुक्र का प्रभाव दिखाई देता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र तीसरे, छठे और आठवें भाव में पीड़ित है जो जातक को भौतिक सुख सुविधा के साथ ही स्त्री का सुख भी नहीं मिलता है। दरअसल पुरुष की कुंडली में शुक्र स्त्री का कारक होता है इसलिए स्त्री सुख व्यक्ति तभी भोग सकता है जब वीर्य का कारक शुक्र बलवान हो। स्त्री जीवन में हो लेकिन उसे भोगने के लिए शक्ति नहीं हो सब व्यर्थ है ! इसलिए पुरुष की कुंडली में अगर शुक्र और द्वादश भाव बलवान नहीं है तो वो स्त्री को संतुष्ट नहीं कर सकता है। 

शुक्रवार का दिन प्रिय है और शुभ रंग सफेद है। देवी मां लक्ष्मी है और कन्याओं की सेवा करने से शुक्र प्रसन्न होता है। अगर शुक्र पीड़ित हो या अच्छे फल नहीं दे रहा है तो शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ कर कन्याओं को रबड़ी का भोग बाँट दे और विवाहित स्त्रियों की मदद करें।

अपनी पत्रिका पर विमोचना के लिए अभी कॉल करें 7699171717

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here