बसंत पंचमी को माघ पंचमी भी कहा जाता है. इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन मां पूरे विधि-विधान से मां सरस्वती की पूजा की जाती है.
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस दिन से भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है.बसंत पंचमी को माघ पंचमी भी कहा जाता है.
बसंत पंचमी का पर्व बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है. इस दिन साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं. मान्यताओं के मुताबिक देवी सरस्वती की पूजा के साथ सरस्वती स्त्रोत पढ़ने से अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा क्यों की जाती है.
बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है सरस्वती पूजा
पुराणों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था. मन्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इसलिए इस दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.
मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है. इस दिन मां सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला और ज्ञान का वरदान मांगा जाता है. मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर और पीले व्यंजन का भोग लगाकर मां सरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है .
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन किया जाता है. इस दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन सभी स्कूल-कॉलेज में मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन पीले वस्त्र पहनने और दान करने का काफी महत्व माना जाता है.
मान्यता है कि इस दिन सरस्वती मां की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है. कई जगह बसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी के साथ विष्णु भगवान की भी आराधना होती है. इस दिन मां सरस्वती को खिचड़ी और पीले चावल का भोग चढ़ाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन से ही ठंड कम होने लगती है और अनुकूल वातावरण बनने लगता है.