कालभैरव अष्टमी वाले दिन भगवान कालभैरवनाथ की उत्पत्ति हुई थी। शिव से उत्पत्ति होने के कारण इनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ और इन्हे अजन्मा माना जाता है। इन्हे काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है और ये अपने भक्त की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
दर्शन बगैर अधूरी रहती है पूजा
देवी के 52 शक्तिपीठ की रक्षा भी कालभैरव अपने 52 विभिन्न रूपों में करते हैं। भगवान कालभैरवनाथ के दर्शन और पूजन की महत्ता इसी बात के समझी जा सकती है कि न तो भगवान शिव की पूजा और न ही देवी के किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन भैरव जी के दर्शन के बिना पूरे माने गए हैं। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हो, श्री काशी विश्वनाथ हो या देवी कामाख्या के दिव्य दर्शन हों, बिना भैरवनाथ के दर्शन के शिव-शक्ति के दर्शन अधूरे माने गए हैं।
पूजन से पहले पढ़ा जाता है ये मंत्र
पूजा पाठ और कर्मकांड के क्षेत्र में भी भगवान कालभैरवनाथ एक विशेष स्थान रखते हैं। पूजा करने की आज्ञा, पूजा में की गई त्रुटियां और क्रम टूटने के दोष से मुक्ति भी भैरव जी ही प्रदान करते हैं। भैरव तंत्र केअनुसार ” ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि।” का उच्चारण पूजा से पहले किया जाता है, जिससे हमें पूजा करने की आज्ञा भैरव जी से प्राप्त होती है।
शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाते हैं भैरव
लाल किताब के अनुसार भगवान कालभैरव को शनि का अधिपति देव बताया गया है और शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए एवं राहु-केतु से प्राप्त हुई पीड़ा और कष्ट की मुक्ति के लिए भैरव उपासना से उच्च और कोई उपाय नहीं है। शत्रु की पीड़ा के नाश में भी कालभैरवनाथ जी सर्वोपरि हैं और कभी-कभी ये भी देखने में आता है कि शत्रु अपने द्वेष को त्याग कर मित्र बन जाता है।
तत्काल मिलता है पूजन का फल
कालभैरव जी का नाम उच्चारण, मंत्र जाप, स्तोत्र, आरती इत्यादि तत्काल प्रभाव देता है और मनुष्य की दैहिक, देविक,भौतिक एवं आर्थिक समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। कलयुग में हनुमान जी के अतिरिक्त केवल कालभैरव जी की पूजा एवं उपासना का ही तत्काल प्रभाव बताया गया है, इसलिए हमें इनकी उपासना करके इन्हे प्रसन्न रखना चाहिए।
इस पूजन विधि से होगी भगवान भैरव की विशेष कृपा —
1-भगवान कालभैरव को फूलमाला, नारियल, दही वड़ा, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ सिन्दूर, चांदी वर्क और धूप-दीप अर्पित करें।
2-बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करने से शरीर की रक्षा, लक्ष्मी प्राप्ति, योग्य पत्नी, ग्रह बाधा, शत्रुनाश और सर्वत्र विजय प्राप्त होती है।
3-भैरव जी के 108 नाम माला का जाप करने से मनोकामना पूरी होती है। किसी भी प्रकार का अनिष्ट होने की सम्भावना हो या भयंकर आर्थिक समस्या, इन नाम का पाठ करने से और हवन करने से कष्ट दिन प्रतिदिन दूर जाता है।
4-श्री बटुक भैरव आपदुद्धारक मंत्र ( ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा) के जाप से शनि की साढ़े साती, ढैय्या, अष्टम शनि और अन्य ग्रहों के अरिष्ट का नाश होता है और शनिदेव अनुकूल होते हैं।
5-नित्य भैरव चालीसा के पाठ से बड़े से बड़ा कष्ट भी समाप्त हो जाता है। कोर्ट-कचहरी के मामलों से भी मुक्ति मिलती है और प्रेत बाधा की भी मुक्ति मिलती है।—श्री कालभैरव अष्टकम् का पाठ करने से ज्ञान, पुण्य, सद्मार्ग, ग्रह बाधा से मुक्ति, पर्याप्त लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
6-श्री कालभैरव अष्टकम् का पाठ करने से ज्ञान, पुण्य, सद्मार्ग, ग्रह बाधा से मुक्ति, पर्याप्त लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
7-श्री शिव दारिद्रयदहन स्तोत्र का पाठ करने से दरिद्रता का नाश होता है और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
8-श्री भैरव यंत्र की पूजा एवं स्थापना से घर के कष्ट-क्लेश समाप्त होते हैं एवं भूत/प्रेत बाधा भी शांत होती है।
9-काले श्वान/कुत्ते को दूध पिलाने से और भोजन कराने से योग्य संतान प्राप्त होती है और संतान से जुड़ी
10-इस दिन भगवान भैरव जी के प्रमुख मंदिर जैसे कि काशी, हरिद्वार, उज्जैन और दिल्ली में दर्शन करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।