हिंदू धर्म के मठ, मंदिर, सिद्धपीठ, ज्योतिर्लिंग और गुफाएं सब अपने में एक चमत्कारिक कहानी संजोए हैं। तो चलिए जानें ऐसे ही कुछ खास चर्चित चमत्कारी रहस्य।
भारत के इन मंदिरों और उनके चमत्कारी रहस्य जान आप हो जाएंगे हैरान
ज्वालादेवी से ज्वाला निकलना
इस मंदिर में अनंत काल से ज्वाला निकल रही है इसी कारण इसे ज्वालादेवी का मंदिर कहते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ है। देवी के शक्ति पीठों में से एक इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी। इसलिए यहां पर ज्वाला निकलती रहती है। इसके अलावा यहां पर एक और चमत्कार देखने को मिलता है। मंदिर परिसर के पास ही एक जगह है ‘गोरख डिब्बी’ जो कि एक जल कुंड है। इस कुंड में गर्म खौलता हुआ पानी है, जबकि छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है।
कालभैरव का मदिरा पीना
मध्यप्रदेश के उज्जैन में कालभैरव के मंदिर में उन्हें मदिरा पिलाई जाती है। क्योंकि यहां भगवान कालभैरव को मदिरापान कराने की परंपरा हैं। इसकी वैज्ञानिक जांच भी हुई कि आखिर ये मदिरा कहां जाती है, लेकिन कुछ नहीं पता चल सका। कालभैरव का यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना है। मदिरा पिलाने की प्रथा भी काफी पुरानी हो चुकी है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर
ओडिशा के नगर पुरी के तट पर भगवान जगन्नाथ का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां आज भी भक्तों की काफी भीड़ होती है। यहां भी कई चमत्कारी रहस्यों की बातें होती हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के गुंबद की छाया नहीं बनती है। इसके अलावा इस मंदिर के ऊपर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसके अलावा इसके गुंबद के आसपास कोई पक्षी नहीं उड़ता है। काफी जांच पड़ताल के बावजूद भी इन रहस्यों का खुलासा नहीं हो सका है।
मैहर माता का मंदिर
जबलपुर जिले में मैहर की माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है। बताया जाता है यहां पर जब मंदिर बंद हो जाता है अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है। मान्यता है कि मां का भक्त आल्हा अभी भी यहां पूजा करने आता है, लेकिन मंदिर खोलने पर कोई नहीं दिखाई देता। कई बार जांचने की कोशिश की गई लेकिन असफलता ही हाथ लगी।
केदारनाथ का मंदिर
केदारनाथ मंदिर एक चमत्कारिक मंदिर है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस पर कभी कोई परेशानी नही आती है। यह हमेशा से जैसा का तैसा खड़ा है। पांडवों द्वारा निर्मित इस मंदिर का शंकराचार्य के बाद राजा भोज ने जीर्णोद्धार करवाया था। जुलाई 2013 में केदारनाथ में जो जलप्रलय हुई थी उसमें लगभग 10,000 लोग मौत की नींद में सो गए थे लेकिन मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ। आज भी यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
रामेश्वरम का मंदिर
रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि आज भी रामेश्वरम में समुद्र अपने पूरे अदब और संयम के साथ ही रहता है। यहां समुद्र कभी उफान पर नहीं आता है। यहां पर श्रीरामेश्वरमजी का मंदिर 1,000 फुट लंबा है। इसके अलावा यह 650 फुट चौड़ा तथा 125 फुट ऊंचा है। इस मंदिर में प्रधान रूप से एक हाथ से भी कुछ अधिक ऊंची शिवजी की लिंग मूर्ति स्थापित है।
रामसेतु के पत्थर
पूरी दुनिया में एकमात्र रामसेतु का स्थान ऐसा है। जहां के पत्थर पानी में तैरते हैं। यहां स्थित चट्टानों और पत्थरों को बेचने पर रोक लगा रखी गई है फिर भी गाइडों के माध्यम से स्थानीय लोग चोरी-छुपे ये पत्थर बेचते हैं। आजकल ये पत्थर बहुत से संतों और कुछ लोगों के पास देखे जा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि रामसेतु या नलसेतु को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वे पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे, बल्कि पानी की सतह पर ही तैरते रहे।
मूर्तियों का दूध पीना
हालाकि ये किसी एक मंदिर विशेष की बात नहीं है, पर कहा जाता है कि 1 सितंबर 1995 में और 2006 दुनियाभर में मूर्तियों ने दूध पिया था। भारत सहित नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि में भी इस चमत्कार के दौरान मूर्तियों के कई किलो दूध पीने का दावा किया गया। हालांकि इसके पीछे वैज्ञानिकों ने तर्क दिए थे कि शायद गर्मी के कारण मूर्तियों की नमी समाप्त हो गई हो और इस वजह से ऐसे संभव हुआ हो। हालांकि काफी जांच की गई कि आखिर इतना सारा दूध कहां गया लेकिन आज तक यह रहस्य नहीं खुला है।
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