मंगलवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

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13 अगस्त को श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और मंगलवार का दिन है। अष्टमी तिथि मंगलवार सुबह 9 बजकर 32 मिनट तक रहेगी, उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। 13 अगस्त को शाम 4 बजकर 33 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा। साथ ही मंगलवार सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक विशाखा नक्षत्र रहेगा, उसके बाद अनुराधा नक्षत्र लग जाएगा। इसके अलावा 13 अगस्त को भौमव्रत और दुर्गाष्टमी व्रत है।

मंगलवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय।

तिथिअष्टमी09:28 तक
नक्षत्रविशाखा10:34 तक
प्रथम करण बावा09:28 तक
द्वितीय करणबालवा21:58 तक
पक्षशुक्ल 
वारमंगलवार 
योग ब्रह्मा16:19 तक
सूर्योदय05:53 
सूर्यास्त18:58 
चंद्रमा  वृश्चिक 
राहुकाल15:41 − 17:20 
विक्रमी संवत्2081  
शक संवत1946  
मासश्रावण 
शुभ मुहूर्तअभिजीत11:59 − 12:51

पंचांग के पांच अंग

तिथि
हिन्दू काल गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है।

तिथि के नाम- प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।

वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 

योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं – बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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