हमारी जन्म कुंडली में नौ ग्रह माने गए हैं। वैसे तो सभी ग्रहों का अपना विशेष महत्व है। सभी ग्रहों का अपना अलग क्षेत्र रहता है और वे उन्हीं क्षेत्रों में हमें शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। इन ग्रहों में मंगल ग्रह का स्थान अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। चूंकि मंगल को सौर मंडल का सेनापति कहा जाता है अत: इनके क्रोध अर्थात अशुभ होने पर व्यक्ति को दरिद्रता भोगनी पड़ सकती है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या द्वादश भाव में मंगल स्थित है तो ऐसे लोग मंगली माने जाते हैं। इन लोगों पर मंगल ग्रह अत्यधिक प्रभाव होता है।
मंगल अशुभ होने पर ये परेशानियां हो सकती हैं-
– अशुभ मंगल से ऋण बढ़ता है।
– भूमि संबंधी कार्यों में नुकसान हो सकता है।
– मकान बनाने में परेशानियां आती हैं।
– शरीर में दर्द रहता है। रक्त संबंधी को बीमारी हो सकती है।
– विवाह में देरी हो सकती है।
भात पूजा से दूर होते हैं मंगल के दोष–यदि आप इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो संभव है कि मंगल देव आपसे प्रसन्न नहीं हैं अत: इन्हें प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम मार्ग है मंगल देव की भात पूजा। प्रति मंगलवार को मंगल देव के लिए विशेष पूजा-अर्चना कराएं। गरीबों की मदद करें और उन्हें खाना खिलाएं। शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं और ब्राह्मण को दान दें।
मंगल के लिए पूजन सामग्री– लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, लाल गुलाल, दूध, दही, घी, शकर, शहद, पूजन सामग्री, गुड़, गेहूं, स्वर्ण, रक्त पुष्प, लाल कनेर के फूल। इन सभी चीजों से मंगल की पूजा करनी चाहिए। पूजा से मंगल के दोष कम हो सकते हैं।