शनिवार को करें ये पूजा एवं उपाय, दूर होगी शनि दोष एवं हर कार्य में मिलेगी सफलता!
हिन्दू धर्म ग्रंथों में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित हैं। यह लोगों के अच्छें और बूरे कर्मों का न्याय कर उनके कर्मं के अनुसार फल देते हैं। मान्यता है कि अगर अपके कुंडली में शनिदेव प्रतिकूल स्थान पर विराजीत है तो उसे अपने जीवन काल में अक्सर दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। ज्योतिष व तंत्र शास्त्र के अनुसार, कई ऐसे उपाय हैं जिसे कर आप शनिदेव को असानी से प्रसन्न कर सकते हैं। यह उपाय आप किसी भी शनिवार से शुरू कर सकते हैं। कुछ प्राचीन उपाय हैं। जिन्हें हम आपकों आज बताऐंगे:-
१.प्रत्येक शनिवार को काले तिल, आटा, शक्कर लेकर इन तीनों चीजों को मिला लें। उसके बाद ये मिश्रण चींटियों को खाने के लिए डाल दें।
२.शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर इन्हें काले तिल, सरसों का तेल, गुड, नीले लाजवंती के पुष्प अर्पण करें।
इस प्रकार भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से शनि की असीम कृपा की प्राप्ति होती है, साथ ही साथ राहु-केतु की भी दशा सुधरती है। शनि यदि आपका मित्र बन जाता है तो फिर दुखो का आपके जीवन में कोई स्थान नही बचना।
३.इस दिन शनिदेव के नाम पर एक सरसों के तेल का दीपक जलाये। इसके बाद शनिदेव से आपके द्वारा किये गये जाने-अनजाने में पापों के लिए क्षमा याचना करें।
४.काले कुत्ते को तेल की चुपड़ी रोटी और कौए को गुलाब जामुन खिलाया जाये तो अति फलदायी हैं।
५.जरूरतमंदो को दान करना भी शनि कृपा प्राप्ति का एक मार्ग है। इसके लिए सामथ्र्य के अनुसार काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, लोहे के बर्तन, उड़द की दाल का दान करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं।
६.शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल सींच कर उसके सूत्र बांधे और फिर सात बार परिक्रमा करें।
७.सूर्यास्त के बाद सुनसान स्थान पर लगे पीपल के पास दीपक प्रज्वलित करें।
यदि ऐसा न हो तो किसी मंदिर में लगे पीपल के पास भी दीपक प्रज्वलित किया जा सकता हैं।
८.शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा कर उन्हें नीले पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: का रूद्राक्ष की माला में जप करें। मंत्र की जप संख्या १०८ होनी चाहिए। ऐसा हर शनिवार को करने से साढ़ेसाती और ढय्या से मुक्ति मिलती है।
९.अगर शनि की सारी बाधाओं से मुक्ति पाना चाहते है तो शनिवार की संध्या बेला में काले घोड़े की नाल या फिर नाव की कील से बनी अगूंठी को अपनी हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें।
१०.सुबह शीघ्र जागकर स्नादि कार्यों से निवृत होकर एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद उस तेल को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भाग्य संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।