शनि के दोषों से ऐसे पाएं मुक्ति…
हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा जरूर आती है। हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि में लौटकर आ जाता है जहां से वह चला होता है।
ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना जाता है। मान्यता है कि जब शनि व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आता है तब साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शनि ग्रह, कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में शनि एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि शनि कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है।
वहीं जिन जातकों की कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है। शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शनि के प्रतिकूल प्रभाव को दूर किया जाए तो शनि दशा के दौरान मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है।
शनि शांति के सरल उपाय
शनिवार को 11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया दशरथ स्तोत्र का पाठ। माना जाता है कि शनिदेव ने स्वयं दशरथ जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति आपके द्वारा लिखे गए स्तोत्र का पाठ करेगा, उसे मेरी दशा के दौरान कष्ट का सामना नहीं करना होगा।
मान्यता है कि शनिदेव प्रत्येक शनिवार के दिन के पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं। इस दिन जल में चीनी व काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है
शनिवार का व्रत रखें।
:व्रत के दिन शनि देव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मंत्र जप) करें।
शनिवार व्रत कथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।
सायंकाल हनुमानजी या भैरवजी का दर्शन करें।
शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोहा, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें।
किसी भी शनि मंदिरों में शनि की वस्तुओं जैसे काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र तथा गुड़ का दान करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
प्रति शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।
शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ काला धागा माला बनाकर पहनें।
शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें, इस समय शनि के किसी मंत्र का जप करते रहें।