48/84 महादेव : श्री अभयेश्वर महादेव मंदिर

0
34
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

:खितादुर्भगा नारी दर्शनं याकरिष्यति।
सौभाग्यसुख संयुक्ता भविष्यतिनसंशय:।।

(अर्थात- यदि दु:खिता एवं दुर्भगा नारी आपका दर्शन करती है, तब वह नि:संशय सुभगा एवं सुखसंयुक्त हो जाए।)
नगर के ढाबा रोड से दानीगेट चौराहे पर पहुंचने के पूर्व दाईं ओर जाने वाली एक गली में बाईं ओर यह मंदिर स्थित है। इसका पूर्व की ओर ७ फीट ऊंचा प्रवेश द्वार प्रस्तर की चौखट का है जिसके भीतर लोहे का जालीदार दरवाजा है। करीब ८० वर्गफीट आकार के गर्भगृह में ३ फीट चौड़ी स्याह काले पाषाण की जलाधारी के मध्य ८ इंच ऊंचा अभयेश्वर लिंग प्रतिष्ठित है जिस पर नाग नहीं है।
समीप ही एक-डेढ़ फीट चौड़ी जलाधारी में ८ इंच ही ऊंचे श्याम वर्ण लिंग विराजित है, वहीं भूरे रंग के नंदी आसीन हैं। गर्भगृह में बायें से ताक में गणेश एवं पार्वती पास-पास विराजित हैं, जबकि सामने की दीवार पर ऋद्धि-सिद्धि सहित गणेश की प्रतिमा है। फर्श व नीचे की आधी दीवार संगमरमर की है, जबकि शेष सीमेंट प्लास्टर है। १८ इंच ऊंचा एक त्रिशूल गड़ा है।

लिंग माहात्म्य की कथा-

प्रथम पाद कल्प के अवसान पर सृष्टि नष्ट हो जाने पर जब ब्रह्मा सृष्टि रचने का सोच रहे थे, तभी उनके वाम नेत्र से गिरे अश्रुकण से हारव नामक तथा दायें नेत्र से कालकेलि दैत्य उत्पन्न हुए। पहले वे ब्रह्मा का वध करने दौड़े। ब्रह्मा ने फिर समुद्र में विष्णु से पूछा वह कौन है। दोनों के बीच सृष्टि रचना को लेकर संवाद चल रहा था कि इसी बीच दोनों भूखे दैत्य वहां जा पहुंचे।
श्रीकृष्ण ने ब्रह्मा से कहा कि यदि आप विश्वकरण है तो इन दैत्यों का वध कीजिए। दैत्यों को देखकर दोनों ने आसन्न भय को जाना। ब्रह्मा ने मरण निकट देखकर कृष्ण को महाकाल वन जाने का कहा जहां दोनों की रक्षा होगी। वे उस वन में दस हजार वर्ष तक भटकते रहे, फिर उन्हें एक ज्वालामय लिंग के दर्शन हुए। दोनों ने उनसे अभय मांगा व कहा कि हम दानवों से पीडि़त हैं। लिंग ने दोनों को अभय दिया।
जब दैत्य वहां भी आ पहुंचे तो महादेव पार्वती से कहते हैं कि हे देवी, तब मैंने उन्हें उदय में छुपा लिया। अंतत: लिंग ने दोनों दैत्यों को भस्मीभूत कर दिया। लिंग ने ब्रह्मा व विष्णु को वर देना चाहा। दोनों ने यह कामना की कि जो यहां उसका स्मरण या पूजा करे उनके लिए आप अभयप्रद हो और भूतल पर आप अभयेश्वर नाम से प्रसिद्ध हैं।

फलश्रुति-

जो इस लिंग के दर्शन करता है वह कदापि संसास से पतित नहीं होता तथा उसे धन-पुत्र-स्त्री का वियोग नहीं होता। गर्भिणी इनके दर्शन से पुत्रलाभ करेगी तथा कन्या पतिलाभ।

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।
WhatsApp no -+917699171717

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here