उम्र के किस पड़ाव पर कौन सा करना चाहिए शान्तिकर्म
मानव जीवन में मनुष्य को सामान्य रूप से 100 साल का जीवन प्राप्त होता है परन्तु वेदों के अनुसार 120 वर्ष मानकर आधी उम्र बीत जाने पर शान्ति कर्म करने का संकेत है इसलिए दोनों प्रकार की आयु ध्यान में रखकर 50 वे साल से 100 साल तक हर 5 वर्ष बाद शान्ति करने का विधान है हर शान्ति के लिए विविध देवता निश्चित किए गए है। जिनके नाम भी अलग-अलग है। आयु, शान्ति का नाम, प्रधान देवता एवं हवनीय द्रव्य का ब्यौरा दिया गया है।
1. 50 वर्ष के आयु पर वेष्णवी शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता विष्णु है। इसमें समिधा, चरू, आज्य व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।
2. 55 वर्ष के आयु पर वारूणी शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता वरूण है। इसमें समिधा, चरू, आज्य व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।
3. 60 वर्ष के आयु पर उग्ररथ शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता मार्कण्डेय है। इसमें समिधा, चरू, आज्य, दूर्वा व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।
4. 65 वर्ष के आयु पर मृत्युंजय महारथी शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता मृत्यंजय महारथ है। इसमें समिधा, चरू, आज्य व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।
5. 70 वर्ष के आयु पर भौमरथी शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता मृत्युंजय रूद्र है। इसमें समिधा व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।
6. 75 वर्ष के आयु पर भी भौमरथी शान्ति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रधान देवता मृत्युंजय रूद्र है। इसमें समिधा व पायस हवनीय द्रव्यों का उपयोग होता है।