84 महादेव : श्री रामेश्वर महादेव (29)

0
67
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

एकानेत्रिशतं विद्धि देवं रामेश्वरम प्रिये।

यस्य दर्शन मात्रेण मुच्यते ब्रह्म हत्यया।।

श्री रामेश्वर महादेव की कथा महाकाल वन की महत्ता दर्शाती है। परशुरामजी ने कई तीर्थों के दर्शन एवं तप किए लेकिन उनका ब्रह्म  हत्या दोष निवारण महाकाल वन में स्थित श्री रामेश्वर महादेव के पूजन से ही हुआ।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार त्रेता युग में शास्त्रों को धारण करने वाले सर्वगुण संपन्न परशुराम हुए। वे विष्णु के अवतार थे जिनका जन्म भृगु ऋषि के शाप के कारण हुआ था। उनकी माता रेणुका थी और पिता जमदग्नि थे। परशुराम के चार बड़े भाई थे लेकिन सभी में परशुराम सबसे अधिक योग्य एवं तेजस्वी थे। एक बार जमदग्नि ने रेणुका को हवन हेतु गंगा तट पर जल लाने के लिए भेजा। गंगा तट पर गंधर्वराज चित्ररथ अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे जिन्हें देख रेणुका आसक्त हो गई और कुछ देर तक वहीँ रुक गई। इस कारण हुए विलंब के फलस्वरूप हवन काल व्यतीत हो गया। इससे जमदग्नि बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने रेणुका के इस कृत्य को आर्य विरोधी आचरण माना। क्रुद्ध हो उन्होंने अपने सभी पुत्रों को रेणुका का वध करने का आदेश दे डाला। लेकिन मातृत्व मोहवश कोई पुत्र ऐसा ना कर सका। पुत्रों को आज्ञा पालन न करते देख जमदग्नि ने उन्हें विचार शक्ति नष्ट होने का श्राप दे दिया।

तभी पिता के तपोबल से प्रभावित परशुराम ने उनकी आज्ञानुसार माता रेणुका का शिरोच्छेद कर दिया। परशुराम की कर्तव्यपरायणता देख जमदग्नि बेहद प्रसन्न हुए और परशुराम से वरदान मांगने को कहा। वरदान स्वरुप पशुराम ने अपनी माता रेणुका को पुनर्जीवित करने एवं भाइयों को पुनः विचारशील करने की प्रार्थना की। वरदान में भी स्वयं के लिए कुछ ना मांग माता एवं भाइयों के लिए की गई प्रार्थना से जमदग्नि और अत्यधिक प्रसन्न हुए एवं उन्होंने परशुराम द्वारा मांगे गए वरदानों को प्रदान करने के साथ कहा- कि इस संसार में तुम्हें कोई परास्त नहीं कर पाएगा, तुम अजेय रहोगे। तुम अग्नि से उत्पन्न होने वाले इस दृढ़ परशु को ग्रहण करो। इसी तीक्ष्ण धार वाले परशु से तुम विख्यात होंगे। वरदान के फलस्वरूप माता रेणुका पुनर्जीवित हो गई पर परशुराम पर ब्रह्म ह्त्या का दोष चढ़ गया।

कुछ समय के बाद हैहयवंश में कार्तवीर्य अर्जुन राजा हुआ। वह सहस्त्रबाहु था। उसने कामधेनु के लिए जमदग्नि ऋषि को मार डाला। पिता के वध से क्रुद्ध हो परशुराम ने परशु से अर्जुन की हजार भुजाएं काट डाली। फिर परशु ने उसकी सेना का भी नाश कर डाला। इसी अपराध को लेकर उन्होंने क्षत्रियों का 21 बार पृथ्वी से नामोंनिशान मिटा दिया। फिर ब्रह्म हत्या पाप के निवारण हेतु परशुराम ने अश्वमेध यज्ञ किया और कश्यप मुनि को पृथ्वी का दान कर दिया। इसके साथ ही अश्व, रथ, सुवर्ण आदि नाना प्रकार के दान किए। लेकिन फिर भी ब्रह्म हत्या का पाप दूर नहीं हुआ। फिर वे रैवत पर्वत पर तपस्या करने चले गए जहां उन्होंने घोर तपस्या की। फिर भी दोष दूर नहीं हुआ तो वे हिमालय पर्वत तथा बद्रिकाश्रम गए। उसके बाद नर्मदा, चन्द्रभागा, गया, कुरुक्षेत्र, नैमीवर, पुष्कर, प्रयाग, केदारेश्वर आदि तीर्थों के दर्शन कर स्नान किया। फिर भी उनकी ब्रह्म हत्या के दोष का निवारण नहीं हुआ। तब वे अत्यंत दुखी हुए एवं उनका दृष्टिकोण नकारात्मक होने लगा। वे सोचने लगे कि शास्त्रों में जो तीर्थ, दान इत्यादि का महात्मय बताया गया है वह सब मिथ्या है। तभी वहां नारद मुनि पहुंचे। परशुराम नारद मुनि से बोले कि मैंने पिता की आज्ञा पर माता का वध किया, क्षत्रियों का विनाश किया जिसके फलस्वरूप मुझे ब्रह्म हत्या का दोष लगा। इस दोष के निवारण के लिए मैंने अश्वमेध यज्ञ किया, पर्वतों पर तप किया, कई तीर्थों में स्नान किया लेकिन फिर भी मेरी ब्रह्म हत्या दूर नहीं हो रही है। तब नारदजी बोले कि आप कृपया महाकाल वन में जाइए। वहां जटेश्वर के पास स्थित दिव्य लिंग का पूजन अर्चन करें। उससे आपकी ब्रह्महत्या दूर हो जाएगी। नारदमुनि के कथनानुसार परशुराम महाकाल वन आए और नारदमुनि द्वारा बताए गए दिव्य लिंग का पूजन अर्चन किया। उनके श्रद्धापूर्वक किए गए पूजन अर्चन से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त कर दिया।

दर्शन लाभ:

मान्यतानुसार श्री रामेश्वर महादेव के दर्शन करने से दोषों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने पर विजयश्री प्राप्त होती है। श्री रामेश्वर महादेव का मंदिर सती दरवाजे के पास रामेश्वर गली में स्थित है।

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।

WhatsApp no – 7699171717
Contact no – 9093366666

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here