प्राचीन कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति के श्राप के कारण चंद्रमा विलुप्त हो गये थे। चंद्रमा के विलुप्त होने से धरती पर औषधियां समाप्त होने लगी। इस पर देवताओं ने ब्रह्मा से प्रार्थना की। ब्रह्मा की आज्ञा पर समुद्र मंथन किया गया उसमें से एक चंद्रमा प्रकट हुआ।
ब्रह्मा की आज्ञा से चंद्रमा धरती पर प्रजा का पालन करने लगा। श्राप ग्रस्त चंद्रमा ने भगवान विष्णु की आज्ञा से महाकाल वन में विराजित शिवलिंग की पूजा की ओर भगवान शिव से वरदान प्राप्त कर पुनः अपना शरीर ओर राज प्राप्त किया। चंद्रमा के पूजन करने के कारण शिवलिंग का नाम सोमेश्वर महादेव पड़ा। मान्यता है कि यहां पूजन करने से मनुष्य सभी कलंक से मुक्त होता है ओर अंत काल में मोक्ष को प्राप्त करता है।
सोमेश्वर महादेव मंदिर
आगर जिले के उज्जैन रोड पर ग्राम तनोडिया से गुन्दीकलां मार्ग पर गोकुल ग्राम राघोगढ़ के समीप ग्राम सुनारिया है, इसी ग्राम के पश्चिम में 1 कि.मी. दूर छोटी कालीसिंध के मध्य में यह प्रसिध्द मंदिर है, मान्यता है अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भगवान सोमेश्वर की स्थापना की थी | आगर से इसकी दुरी लगभग 25 कि.मी. है |
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