जानिए विध्नहर्ता श्रीगणेश की कौन सी मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखने पर मिलते है निम्न प्रकार के लाभ!
भगवान श्री गणेश को हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्य से पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश के पूजन का विधान है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्रीगणेश के अनेक रूपों की आराधना भी विशेष कार्य सिद्धियों के लिए की जाती है। श्रीगणेश के इन रूपों का अगर विधि-विधान से पूजन कर पूजा घर में स्थापित किया जाए तो हर समस्या का निदान संभव है और जीवन का हर सुख प्राप्त होता है।
आज हम आपको बता रहे है कि यदि श्रीगणेश की विभिन्न मूर्तियों में से कोई एक अपने घर पर स्थापित करें, तो इससे आपको क्या लाभ होंगे।
हिरे के गणेश-
रत्नों के क्रम में हिरे का स्थान है सर्वप्रथम माना गया है। शायद इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि इसका दुर्लभ होना। ऐसे रत्न से बने श्रीगणेश जी को अपने कार्यस्थल पर विराजीत कर पूजन करने से नये रूप से शुरू किये गये व्यवसाय में बड़ोतरी, नई नौकरी में तरक्की एवं स्त्री से प्रेम संबंध में प्रगाड़ता बढ़ती है।
पन्ना के गणेश-
इसका रंग हरा होता है। इसका पूजन करने से बुद्धि एवं यश बढ़ता है। अगर विद्यार्थी पन्ना से निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा को अपने कमरे में पूजन स्थान पर स्थापित कर, रोज पूजा करें तो शिक्षा क्षेत्र में उसे निश्चित ही सफलता की प्राप्ति होगी।
मूंगा के गणेश-
अगर आप के शत्रु है और उनका भय आपको सताता है तो आपको अपने पुजन स्थल पर मूंगा का बना गणेश की प्रतिमा का स्थापना करना चाहिए और रोज उनकी पूजा विधि-विधान से करे तो छण भर में इस समस्या से आपको निजात मिल सकता है। क्योंकि मूंगा एक लाल रंग का रत्न होता है। इसलिए इसका पूजन शत्रु नाशक हेतू किया जाता है।
चांदी के गणेश-
चांदी से निर्मित गणेश की प्रतिमा को अपने घर के मंदिर वाले स्थान पर स्थापित करके और रोज पूजन-अर्चन करने से साधक की धन की मनोकामना सिघ्र पूर्ण हो जाती है। एवं धन का निवास सदा उस घर में बना रहता है।
चंदन के गणेश-
अगर आपका आपके परिवार वालों से सामंजस्य नहीं है। यह आपकी आपके परिवार वालों से हमेशा अनबन बना रहता है तो आपको चन्दन से निर्मित श्रीगणेश प्रतिमा को अपने घर के पूजन स्थल पर स्थापित करना चाहिए। इससे घर में किसी प्रकार की विपदा नहीं आती है। साथ ही साथ आपका अपने परिवार वालों के साथ मथुरता बनी रहती है।
हाथी पर विराजीत गणेश-
ऐसी प्रतिमा वाले श्रीगणेश जी को अपने पूजन स्थल पर स्थापित करने से आपके धन, मान-सम्मान और रूतबे को कभी हानी नहीं होती। बल्कि इनका रोज पूजन करने से धन, मान-सम्मान और रूतबे में वृद्धि होती है।
कमल पर विराजीत गणेश-
अगर आपका अर्जित किया हुआ धन असानी से चला जाता है। टिकता नहीं है। यह आप पूर्ण रूप से निर्धन है तो आपको कमल पर विराजीत हुए ऐसे श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए। सिघ्र ही परिणाम मिलता है।
नाचते हुए गणेश-
अगर आपका मन अशांत रहता है। या हमेशा किसी तनाव से ग्रसित रहता है, तो आपको नाचते हुए श्रीगणेश की प्रतिमा को स्थापित कर, रोज पूजन करनी चाहिए। आपके मन मे एकाग्रता और भी दृढ़ हो जायेगी।
बांसुरी बजाते गणेश-
यदि आपके घर में रोज क्लेश या विवाद होता है तो आपको बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की मूर्ति घर में स्थापित करनी चाहिए। बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वातावरण रहता है।
बाल गणेश-
अगर आपके कुण्डली में संतान योग नहीं है या शादी होने के काफी समय बित जाने के बावजुद भी अपके घर-आंगन में किसी नन्हें-मुन्हें की किलकारीयाँ नही गुंज रही है। तो आपको अपने घर मंदिर में भगवान श्रीगणेश के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर, रोज पूजन विधि-विधान से करके उनके सनमुख पूत्र प्राप्ति की मनोकामना करे तो उसका फल सिघ्र मिलता है।
सफेद रंग के गणेश-
यहां पर रंग पर चर्चा की गई है क्योंकि सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है। ऐसे रंग का श्रीगणेश की प्रतिमा घर, व्यवसाय एवं ऑफिस में स्थापति करने से माहौल में शांति का वास रहता है।
सफेद आंकड़े के गणेश-
अगर आपके मन में ऐसा विचार पलप रहा है कि किसी ने आपके घर को ऊपरी बाधा से बांध दिया है या किसी माध्यम से आपने यह मालूम कर लिया है कि आपके घर में कोई ऊपरी बाधा है तो सफेद आंकड़ा(एक प्रकार का पौधा) की जड़ से निर्मित श्रीगणेश का महत्व ज्योतिष शास्त्रों में इसका उल्लेख है। ऐसे निर्मित श्रीगणेश की पूजा स्थान पर स्थापित कर पूजन करने पर उस घर में ऊपरी बाधा खत्म हो जाती है।