Kis Ped me hai Koun se Devata ka Vaash?

0
10684
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
281781125

किस पेड़ में है कौन से देवता का वास?

कौन से पेड़ की पूजा से कौन से प्रसन्न होगें देवता?

Kis ped me koun se Dewta ka Waas

भारतीय जन जीवन में वनस्पतियों और वृक्षों में भी देवत्व की अवधारणा की गई है। वामनपुराण में वनस्पतियों की व्युत्पत्ति को लेकर एक कथा भी आती है। आश्विन मास में विष्णु की नाभि से जब कमल प्रकट हुआ, तब अन्य देवों से भी विभिन्न वृक्ष उत्पन्न हुए। हिन्दू धर्म में कई पेड़ों को अलग-अलग देवी-देवताओं के निवास स्थान के नाम से जाना जाता है। और इसलिए हिन्दू धर्म में पेड़ों को पूजा जाता है। इतना ही नहीं, कई त्यौहार तो ऐसे होते हैं, जिसमें पेड़ों का ही महत्व अधिक होता है।
पर क्या आपको पता है कि इन पेड़ों में अलग-अलग भगवान का वास होता है। कौन से पेड़ में किस देवता का वास होता है। और किन पेड़ों को पूजने से आपको कौन से देवता का आर्शीवाद मिलेगा। इतना ही नहीं, कौन से वृक्ष आपको कौन सा वरदान दिलवा सकते हैं। आइये जानते है-

पीपल का वृक्ष-

पीपल का वृक्ष-

हमारे शास्त्रों के अनुसार कलियुग में लोगों के लिए कल्पवृक्ष तो सुलभ नहीं है परंतु सर्वदेवमय वृक्ष पीपल(अश्वत्थ) पर सच्चे भाव से संकल्प लेकर नियमित रूप से जल चढ़ाने, पूजा एवं अर्चना करने से मनुष्य वह सब कुछ सरलता से पा सकता है जिसे पाने की उसकी इच्छा हो। पीपल को विष्णु का प्रतीक कहा गया है।
पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्ण जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने मे केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है। इसीलिए पीपल को कलियुग का कल्पवृक्ष माना जाता है। पीपल एकमात्र पवित्र देववृक्ष है जिसमें सभी देवताओं के साथ ही पितरों का भी वास रहता है।

शमी के पेड़-

शमी के पेड़-

शमी के पेड़ को शनि देव से जोड़ा गया है। शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है। यूं तो शास्त्रों में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए कई उपाय बताएं गए है। लेकिन इन सभी उपायों में से प्रमुख उपाय है शमी के पेड़ की पूजा। घर में शमी का पौधा लगाकर पूजा करने से आपके कामों में आने वाली रूकावट दूर होगी।

बरगद का पेड़-

बरगद का पेड़-

बरगद का पेड़ त्रिमूर्ति का प्रतिक है। इसकी छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव विराजते हैं। अग्निपुराण के अनुसार बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है। इसलिए संतान के लिए इच्छित लोग इसकी पूजा करते हैं। इस कारण से बरगद काटा नहीं जाता है। अपनी विशेषताओं और लंबे जीवन के कारण इस वृक्ष को अनश्वर माना जाता है। इसलिए इस वृक्ष को अक्षयवट भी कहा जाता है। इसकी उत्पति यक्षों के राजा ‘मणिभद्र’ से हुआ था। यक्ष से निकट सम्बन्ध के कारण ही वट वृक्ष को ‘यक्षवास’, ‘यक्षतरू’, ‘यक्षवारूक’ आदि नामों से भी पुकारा जाता है। जटाधारी वट वृक्ष को साक्षात जटाधारी पशुपति शंकर का रूप माना गया है। ज्योतिष के अनुसार बरगद के पेड़ की पूजा करने से महिलाओं का सौभाग्य अखंड रहता है।

तुलसी का पौधा-

तुलसी का पौधा-

हमारे देश में प्राचीन काल से ही तुलसी की पूजा की प्रथा रही है, कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी की पूजा होती है वहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। एवं विष्णु का विशेष कृपा बनी रहती है।

नीम के पेड़-

नीम के पेड़-

ज्योतिष के अनुसार नीम के पेड़ की पूजा करने से कुंडली के सभी दोष दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

केले के पेड़-

केले के पेड़-

जिन लोगों की कुंडली में गुरू संबंधित दोष होते हैं, वो केले के पेड़ की पूजा करें तो उन्हें लाभ होता है। केले का पौधा बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि वृक्ष है। इसके समीप तुलसी का पौधा लगा दिया जायें तो विष्णु और लक्ष्मी की कृपा साथ-साथ बनी रहती है।

बेल का वृक्ष-

बेल का वृक्ष-

बेल का वृक्ष में स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं। भगवान शिवजी का परम प्रिय बेल का वृक्ष जिस घर में होता है वहां धन संपदा की देवी लक्ष्मी पीढ़ियों तक वास करती है। शिव को प्रसन्न करने हेतू बेल की पत्तियां चढ़ाने से शिव जल्द प्रसन्न होते है।

आंवले के वृक्ष-

आंवले के वृक्ष-

आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का वास होता है। तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में तो स्वयं भगवान विष्णु आंवले की जड़ में निवास करते है। संस्कृत में आंवले को अमरफल भी कहते है।

श्वेतार्क पौधा-

श्वेतार्क पौधा-

श्वेतार्क पौधा भगवान गणेश का प्रिय पौधा है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार दूध से युक्त पौधों का घर की सीमा में होना अषुभ होता है। किन्तु श्वेतार्क या आर्क इसका अपवाद है। श्वेतार्क के पौधे की हल्दी, अक्षत और जल से सेवा करें। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर के समीप श्वेतार्क का पौधा फलता-फूलता है वहां सदैव बरकत बनी रहती है। उस भूमि में गुप्त धन होता है या गृह स्वामी को आकास्मिक धन की प्राप्ति होती है।

गुडहल का पौधा-

गुडहल का पौधा-

गुडहल का पौधा ज्योतिष में सूर्य और मंगल से संबंध रखता है। गुडहल का फूल जल में डालकर सूर्य को अध्य्र देना आंखों, हड्डियों की समस्या और नाम एवं यश प्राप्ति में लाभकारी होता है।

बांस का पेड़-

बांस का पेड़-

बांस का पेड़ भगवान कृष्ण का प्रिय है। वे हमेशा अपने पास बांस की बनी हुई बांसुरी रखते थे। सभी शुभ अवसरों जैसे शादी, जनेऊ और मुण्डन आदि में बांस का अवश्य ही उपयोग किया जाता है।

बता दें कि-

‘‘बेल और बरगद में भगवान शिव का जबकि कमल में महालक्ष्मी का वास माना गया है। जामुन के वृक्ष की पूजा करने से धन प्राप्त होता है, वहीं बकुल को पापनाशक, तेंदु को कुलवृद्धि, अनार को विवाह कराने में सहायक और अशोक को शोक मिटाने वाला बताया गया हैं। कदंब व आंवला वृक्ष के नीचे विराजीत होकर यज्ञ करने से लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है। आंवला और तुलसी में विष्णु के वास की कहानियां प्रचलित है।’’

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
281781125

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here