तिरूपति बालाजी से जुड़ी १० रहस्यमय बाते?
जानते है कुछ अनसुनी-अनकही बातें
भारत के आंध्र प्रदेश के तिरूमाला नामक पहाड़ीयों पर विराजित सबसे प्राचीन और धन में धनी मंदिरों में प्रसिद्ध तिरूपति बालाजी मंदिर अपने गर्भ में कई रहस्यों को संजोए हुऐ है। इस मंदिर में दर्शन को आए श्रद्धालुओं में मंदिर से जुड़ी कई रहस्यों को जानने की जिज्ञासा आतुुर रहती हैं। इन्हें तिरूमाला वेंकटेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे ही रोचक और रहस्य से पूर्ण कुछ दस बातों से हम आपको रूबरू करा रहे हैं। जो निम्नवत है-
प्रथम रहस्य-
तिरूपति बाला जी को एक विशेष प्रकार का कपूर(कर्पूरम) चढ़ाया जाता है। जो एक खास कर्पूर को मिलाकर बनाया जाता है। कहा जाता है कि अगर इस कर्पूरम को साधारण पत्थर पर चढ़ाया जाये तो वह पत्थर तुरंत चटक जाता है। परन्तू वहीं कर्पूरम भगवान तिरूपति बाला जी को जढ़ाने पर इसका दुष्प्रभाव नहीं होता है।
दुसरा रहस्य-
सभी मंदिरों में भगवान पर चढ़ाए गये फूलों को भक्तों में परस्पर बाट दिया जाता है। लेकिन तिरूपति बालाजी के मंदिर में ऐसा नहीं है। यहां के तिरूपति बालाजी की प्रतिमा पर चढ़ाए जाने वाले सभी फूलों और तुलसी के पत्तों को श्रद्धालुओं में न बाटकर, मंदिर परिसर के पिछें बने पुराने कुएं में छोड़ दिया जाता है।
तीसरा रहस्य-
हफ्ते के बृहस्पतिवार के दिन तिरूपति बालाजी की पुरी प्रतिमा को सफेद चंदन के लेप दिया जाता है। वहीं इस लेप को हटाने के बाद प्रतिमा पर माता लक्ष्मी का रूप प्रत्यक्ष नजर आता है।
चौथा रहस्य-
हमेशा मंदिरों के गर्भ गृह में ही भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पर यहां ऐसा नहीं है। इस मंदिर में स्थापित तिरूपति बालाजी की प्रतिमा वास्तव में मंदिर के दायीं ओर स्थित है। पर ऐसे देखने में गर्भ गृह में स्थापित प्रतित होता है।
पांचवा रहस्य-
तिरूपति बालाजी की प्रतिमा के पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है। वहीं पुजारीयों का कहना है कि अगर पिछला हिस्सा की ओर ध्यान से सुना जायें तो सागर की लहरों की आवाज की तरह सुनाई देता है।
छठा रहस्य-
ऐसी मान्यता है कि तिरूपति बालाजी यानी वेंकटेश्वर स्वामी के बाल अवस्था के दौरान उन्हें मारने के लिए उपयोग में जो छड़ी का इस्तेमाल हुआ था, वो आज भी मंदिर में स्थापित प्रतिमा के दायीं ओर रखी हुई है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से भगवान के ठोड़ी पर चोट का निशान भी पड़ा था। इसी लिए भगवान को ठोड़ी पर चन्दन लगाने की प्रथा शुरू की गई।
सांतवा रहस्य-
मंदिर में स्थापित भगवान तिरूपति बालाजी की प्रतिमा के सिर वाले स्थान पर लगे बाल उनके असली बाल हैं। कहा जाता है कि श्रृंगार के समय उनके बाल कभी भी उलझते नहीं है। वहीं सिल्क के भांति बहुत ही मुलायम प्रतित होते हैं।
आठवा रहस्य-
इस मंदिर में एक दिया प्राचीनतम काल से जलता चला आ रहा है। किसी को नहीं मालूम है कि इस दिया को कब और किसने जलाया था।
नौवां रहस्य-
बता दें कि १८वीं शताब्दी के एक राजा ने १२ लोगों को एक साथ मौत की सजा दे दी थी। वहीं उनके मृत्य देह को इसी मंदिर परिसर के दीवार पर लटका दिया था। इस घटना के बाद मंदिर को बंद कर दिया गया था। १२ वर्षों के बाद भगवान तिरूपती बालाजी के प्रकट हो कर भक्तों को दर्शन के बाद से पुन: मंदिर को खोल दिया गया। जो आज तक निरन्तर चला आ रहा है।
दशवां रहस्य-
कहा जाता है प्राचीन काल से ही भगवान पर चढ़ाए हुऐ फूल और तुसली जी की पत्तियों को भक्तों में बांटा नही जाता है बल्कि मंदिर परिसर के पिछे फेंकते समय पुजारियों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वे फेंके गये फूलों और तुलसी की पत्तियों को न देखें। पुजारियों का कहना है कि फूलों को देखना अशुभ माना जाता है।