तिरंगे
से जुड़े कुल ३० अमेजिंग और इंटरस्टिंग फैैक्ट्स, क्या जानते है आप?
१५ अगस्त का जिर्क मन में आते ही हमारें जहन में तिरंगे की छवी आ जाती है। मन प्रफुल्लित सा हो जाता है। तन-मन में एक ऊर्जा की लहर दौड़ जाती है। आज हम इन्हीं सब बातों का मूल तिरंगे से जुड़े कुल ३० अमेजिंग और इंटरस्टिंग बातों से आप को रूबरू करा रहें है। हम सभी जानते है कि देश की आन-बान और शान का प्रतीक हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। हम सभी तिरंगा बड़े ही गर्व से फहराते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले तिरंगा कब और कहां, फहराया गया था? किसने किया था तिरंगे को डिजाइन? तो आइये जानते है।
१. क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया‘ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
२. यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया‘ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
३. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है।
४. किसी भी स्तिथि में फटे या क्षतिग्रस्त झंडे को नहीं फहराया जा सकता है।
५. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात ३:२ ही होना चाहिए।
६. झंडे का यूज किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
७. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
८. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता है।
९. किसी भी स्तिथि में झंडा(तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
१०. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
११. झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
१२. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते है और न ही बराबर रख सकते है।
१३. जब तिरंगा फट जाए या रंग उड़ जाए तो इसे फहराया नहीं जा सकता। ऐसा करना राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाला अपराध माना जाता है।
१४. जब तिरंगा फट जाता है तब इसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है।
१५. शहीदों के पार्थिव शरीर से उतारे गए झंडे को भी गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या नदी में जल समाधि दी जाती है।
१६. सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को ७ अगस्त १९०६ को पारसी बागान चौक(ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
१७. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वैंकेया ने डिजाइन किया था।
१८. अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे २२ जुलाई १९४७ को अपनाया गया था। इससे पहले इसमें ६ बार बदलाव किया गया था।
१९. ३-हिस्से से बने झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की एक बराबर पट्टियां होती है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपार २ और ३ का होता है।
२०. इस पक्रिया में केसरिया पट्टी सिर की तरफ होनी चाहिए, न कि सिर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरी पट्टी दाएं-बाएं हों।
२१. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का एक चक्र होता है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें २४ तिलियां बनी होती है।
२२. २६ जनवरी २००२ को भारतीय ध्वज संहिता में एमेंडमेंट किया गया। इसके बाद लोगों को अपने घरों और ऑफिस में आम दिनों मेंं तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई।
२३. २२ जुलाई १९४७ से पहले तिरंगे के बीच में चक्र की जगह पर चरखा होता था। इस झंडे को १९३१ में अपनाया गया था।
२४. झारखंड की राजधानी रांची में २३ जनवरी २०१६ को सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया गया। ६६’९९ साइज के इस तिरंगे को जमीन से ४९३ फीट ऊँचाई पर फहराया गया।
२५. राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम में एक छोटा तिरंगा रखा हुआ है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है।
२६. भारत में बैंगलुरू से ४२० किमी स्थित ‘‘हुबली’’ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है।
२७. २९ मई १९५३ में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
२८. पहली बार २१ अप्रैल १९९६ के दिन स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने तिरंगे की शान बढ़ाते हुए एम.आई-८ हेलिकॉप्टर से १०००० फीट की ऊंचाई से कुदकर देश के झंडे को उत्तरी धु्रव में फहराया था।
२९. १९८४ में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान भरी थी।
३०. दिसंबर २०१४ से चेन्नई में ५०,००० स्वयंसेवकों द्वारा मानव झंडा बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी भारतीयों के पास ही है।