तीर्थ यात्रा करने की इच्छा हर व्यक्ति की होती हैं। चाहें वो जाने-अनजाने में किऐ गये पापों की मुक्ति के लिए हो या पुण्य अर्जित करना हो। किसी न किसी सोच से वह व्यक्ति तीर्थ दर्शन जरूर करना चाहता हैं। ऐसे में मन में किसी तरह का संदेह हो की उसकी तीर्थ यात्रा बिना किसी गलती के सफल हो जाऐ तो आज हम आपकों इस आलेख में बताएगें कि हमें किन बातों का ध्यान अपने तीर्थ दर्शन के दौरान रखना चाहिए।
१.अगर व्यक्ति तीर्थ स्थान को अपने व्यापार हेतू या फिर किसी भी कारण वश जाता है तो उसे उस तीर्थ स्थान के पुण्य का आधा फल की प्राप्ति होती हैं।
२.तीर्थ क्षेत्र में एक बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि किसी भी स्थान पर हुआ पाप की मुक्ति तीर्थ स्थल पर जाने पर मिल जाती है । लेकिन अगर तीर्थ स्थान पर किसी भी तरह का कोई भी पाप करते है चाहे व जाने में या अनजाने में हो तो भी उस पाप से मुक्ति फिर हमें कहीं पर नहीं मिलती हैं।
३.अगर किसी कारण वश पैसों के अभाव में व्यक्ति दूसरों के धन से तीर्थ यात्रा करता है। तो पुण्य का सोलहवां भाग प्राप्त होता हैं।
४.अगर व्यक्ति अपने लिए नहीं वरन अपने माता-पिता, भाई-भहन, परिजन अथवा गुरू को पुण्य फल दिलवाने हेतू तीर्थ दर्शन को जा कर स्नान आदि करता है तो शास्त्रों में बताया गया है उस व्यक्ति को पूण्य का बारहवां भाग की प्राप्ति होती हैं।
५.तीर्थ क्षेत्र में पहुुंचने के बाद दर्शनार्थी को हमेशा स्नान, दान और जप आदि क्रिया को जरूर से करना चाहिए। ऐसा न करने से उसे उस तीर्थ का पूण्य नहीं मिलता हैं। बल्कि वह व्यक्ति रोग एवं दोष का भागी हो जाता हैं।