नवरात्रि पर्व
हिन्दू पर्व में इस नवरात्रि पर्व का बहुत बड़ा महत्व होता हैं। इस दौरान हिन्दू धर्म के लोग कोई भी नया काम या किसी तरह की बड़ी खरीदारी का चुनाव करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई नये रूप से कार्य शुभ होता हैं। यह नवरात्रि का शब्द संस्कृत से लिया गया है। जिसका शाब्दिक अर्थ नौ रातों तक माँ की आराधना करना हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जिसके बाद दसवें दिन को दशहरा के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। यहां दुर्गा का मतलब जीवन के हर दुख को हटानेवाली होता हैं।
नवरात्रि की शुरूआत-
इस पर्व की शुरूआत सर्वप्रथम श्रीरामचंद्र जी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमश: अलग-अलग पूजा की जाती है।
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है। गुजरात में इस पर्व को डांडिया और गरबा के रूप में बड़े पैमाने से मनाया जाता हैं। इस पर्व की शुरूआत चंद्र कैलेण्डर के अनुसार निर्धारित होती हैं।
माँ के नौ रूप-
बता दें कि देवी के नौ रूपों को १- शैलपुत्री जिसका अर्थ पहाड़ों की पुत्री होता हैं। २- ब्रह्मचारिणी जिसका अर्थ ब्रह्मचारीणी हैं। ३- चंद्रघंटा जिसका अर्थ चाँद की तरह चमकने वाली होता हैं। ४- कूष्माण्डा जिसका अर्थ पूरा जगत उनके पैर में है। ५- स्कंदमाता जिसका अर्थ कार्तिक स्वामी की माता। ६- कात्यायनी– जिसका अर्थ कात्यायन आश्रम में जन्मि। ७- कालरात्रि- जिसका अर्थ काल का नाश करने वाली। ८- महागौरी- जिसका अर्थ सफेद रंग वाली माँ। और ९- सिद्धिदात्री – जिसका अर्थ सर्व सिद्धि देने वाली होता हैं।
नवरात्रि के पहले तीन दिन-
इन तीन दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती हैं। इस दौरान ऊर्जा और शक्ति की होती हैं। इसके पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती हैं। और तीसरे दिन महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकी पूजा की जाती है।
नवरात्रि के चौथे से छठें दिन-
नवरात्रि के इन दिनों में लक्ष्मी-समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है।
नवरात्रि के सातवां और आठवां दिन-
सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती की पूजा की जाती है। और आठवें दिन पर एक यज्ञ किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा अनको विदा करता हैं।
नवरात्रि के नौवां दिन-
नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पर कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े भेट स्वरूप दिये जाते हैं।