हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले मुहूर्त देखने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य अच्छे फल प्रदान करते हैं। मान्यता के अनुसार, यदि भूलवश कोई शुभ कार्य अशुभ मुहूर्त में हो जाए तो इसका विपरीत परिणाम होता है। हिंदू धर्म में राहुकाल को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए किसी शुभ कार्य को करने से पहले राहुकाल पर जरूर विचार किया जाता है।
90 मिनिट का होता है राहुकाल
राहुकाल का नाम सुना सभी ने होगा, लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि राहुकाल होता क्या है और ये किस प्रकार अशुभ फल प्रदान करता है? उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा आज हमें राहुकाल से जुड़े सभी रहस्यों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही आज हम ये भी जानेंगे किस दिन, किस समय राहुकाल के कारण हमें शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
पं. शर्मा के अनुसार, ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवे भाग का स्वामी राहु होता है। इसे ही राहुकाल कहते हैं। यह प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है, जो राहुकाल कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य या खरीदी-बिक्री को शुभ नही माना जाता।
राहुकाल में न करें शुभ कार्य
पं. शर्मा के अनुसार, राहुकाल में शुरू किए गए किसी भी शुभ कार्य में हमेशा कोई न कोई विघ्न आता है। अगर इस समय में कोई व्यापार प्रारंभ किया गया हो तो वह घाटे में आकर बंद हो जाता है। इस काल में खरीदा गया कोई भी वाहन, मकान, जेवरात अन्य कोई भी वस्तु शुभ फलकारी नही होती। अत: किसी भी शुभ कार्य को करते समय राहुकाल पर अवश्य विचार कर लेना चाहिए।
प्रत्येक स्थान पर एवं ऋतुओं में अलग अलग समय पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता हैं। अत: हर जगह पर राहुकाल का समय अलग-अलग होता हैं किंतु प्रत्येक वार पर इसके स्टैंडर्ड समय के अनुसार राहुकाल मान सकते हैं।